नई दिल्ली. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘पशु पालन मेला’ दुधारू पशुओं की अगली पीढ़ी की बेहतर देखभाल के संदेश के साथ संपन्न हो गया. मेले में बड़ी संख्या में किसानों ने अपनी भागीदारी दर्ज कराई और नई तकनीकें सीखने में रुचि दिखाई. वित्त आयुक्त, पशुपालन, डेयरी विकास एवं मत्स्य पालन विभाग, पंजाब सरकार राहुल भंडारी ने कहा कि पंजाब दूध उत्पादन में पूरे देश से आगे है और हमारे पास अभी भी ब्राजील जैसे देश की तरह आगे बढ़ने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि हमें पशु पोषण संबंधी ज्ञान प्रदान करने के लिए ग्राम स्तर पर काम करना चाहिए.
उन्होंने बकरी पालन व्यवसाय को और बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि संक्रामक रोगों को नियंत्रित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने पूरे पशु चिकित्सा समुदाय की प्रशंसा की कि संयुक्त प्रयासों से पंजाब में बाढ़ के बाद पशुओं से या उनके बीच कोई बीमारी नहीं फैली. उन्होंने रामपुरा फूल में संचालित पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के प्रदर्शन की भी सराहना की और कहा कि वैज्ञानिकों को गाँवों को गोद लेकर उनकी प्रगति के लिए काम करना चाहिए.
किसने क्या कहा
वेटरनरी यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. जतिंदर पॉल सिंह गिल ने यूनिवर्सिटी में एक आधुनिक चारा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है. अस्पताल सेवाओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि अगले वर्ष तक विश्वविद्यालय में एक नया बड़ा पशु अस्पताल और एक अश्व अस्पताल बनाया जा रहा है.
उन्होंने मत्स्य पालन महाविद्यालय की शोध गतिविधियों और डेयरी एवं खाद्य विज्ञान प्रौद्योगिकी महाविद्यालय द्वारा तैयार किए जा रहे नए उत्पादों पर चर्चा की. उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय नए उद्यमियों के लिए 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रदान कर सकता है.
विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रविंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि हमारे कुछ विभाग पशुपालन से संबंधित सेवाएं प्रदान करते हैं जबकि कुछ विभाग पशु उत्पादों का मूल्यवर्धन करके नए उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण देते हैं.
उन्होंने कहा कि इस तरह के काम से घर बैठे अच्छी आय अर्जित की जा सकती है. उन्होंने कहा कि इन व्यवसायों की विशेषता यह है कि इन्हें महिलाएं भी आसानी से कर सकती हैं.
उन्होंने बताया कि सजावटी मछलियाँ, मछलियों के लिए एक्वेरियम, फ्लेवर्ड मिल्क, लस्सी, पनीर, मीट और अंडे का अचार, कोफ्ते, पैटीज, मीट बॉल्स और मछली के कीमे से तैयार विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जा सकते हैं.
विश्वविद्यालय के डेयरी एवं खाद्य विज्ञान प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, पशुधन उत्पादन विभाग ने विभिन्न प्रकार के मीट और अंडे के उत्पाद तैयार किए, जबकि मत्स्य पालन महाविद्यालय ने भी बड़ी संख्या में उत्पादों का प्रदर्शन किया.
डॉ. ग्रेवाल ने बताया कि पशुपालकों ने पशुपालन पेशे को बेहतर बनाने और वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाने में गहरी रुचि दिखाई. विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों ने पशुपालकों के साथ अपने ज्ञान और जानकारी साझा की.