नई दिल्ली. डेयरी पशुओं को हरे चारे की जरूरत होती है. आप पशुओं को हरे चारे के तौर पर लोबिया खिला सकते हैं. इसके कई फायदे भी हैं. जैसे लोबिया खिलाने से दूध उत्पादन में वृद्धि होती है. पोषक तत्वों की पूर्ति होती है. पाचन में सुधार और पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि भी लोबिया खिलाने से होती है. पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट ने लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज को बताया कि लोबिया के अंदर कई पौष्टिक तत्व होते हैं. जिससे पशुओं को भरपूर मात्रा में दूध उत्पादन करने में मदद मिलती है.
IVRI के मुताबिक लोबिया के अंदर प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर होता है, जो दुधारू पशुओं के लिए बहुत फायदेमंद है. यह एक आसानी से पचने वाला चारा है, जो जानवरों की सेहत को बेहतर बनाता है और उनके विकास में मददगार होता है.
क्या लोबिया बनती है अच्छी हे
लोबिया की खेती भारत में दाने, हरे चारे, हरी सब्जी और हरी खाद के लिए की जाती है.
लोबिया को चारे के लिए ज्वार, बाजरा, मकचरी व मक्का के साथ मिलाकर भी बोया जाता है.
ऐसा करने से ये और पौष्टिक हो जाता है. इसका प्रयोग सूखा चारा (हे) तथा साइलेज बनाने के लिए भी किया जाता है.
हरे चारे के लिए लोबिया की प्रजातियां, दाने तथा फली के लिए उगायी जाने वाली किस्मों से बिल्कुल अलग होती हैं.
कौन सही किस्म है अच्छी
रशियन जायन्ट किस्म उत्तर भारत क्षेत्र में उगती है. प्रति हेक्टेयर 30-35 टन चारा इससे मिलता है.
ई.सी. 4216 प्रजाति उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत में उगाई जाती है. इससे 35-40
टन हरा चारा एक हेक्टेयर में मिलेगा.
बुन्देल लोबिया-2 उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत की अच्छी किस्म है. इससे 35-40 टन चारा एक हेक्टेयर में आसानी से मिल जाएगा.
यूपीसी 287, 5286 पूरे भारत के लिए है. यानि हर जगह उगाई जाती है. इससे 30-45 टन चारा मिल जाएगा.
बुन्देल लोबिया-1 भी पूरे भारत में उगाई जाती है. इस किसम से 30-45 टन हरा चारा मिलता है.
यूपीसी-5287 उत्तर भारत की चारा किस्म है. इससे 35-45 टन हरा चारा मिलता है.