Animal Husbandry: गर्भ के समय कैसे करें पशुओं की देखभाल, जानिए एक्सपर्ट के टिप्स

जैसे बच्चा बाहर आ जाए, उसे पशु को चाटने देना चाहिए. जिससे उसके शरीर में लगा श्लेषमा सूख जाए. जरूरत हो तो साफ नरम तौलिया से बच्चे को साफ कर दीजिए.

प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. दूध के क्षेत्र में शहर हो या देहात आज फसल के साथ-साथ किसान पशुपालन कर डेयरी व्यवसाय में भी मेहनत कर रहे हैं. दूध से अपनी आमदनी को बढ़ा रहे हैं. किसानों के लिए सरकार भी डेरी उद्योग में प्रोत्साहित कर रही है. वहीं पशु पालन में गर्भवती पशु की देखरेख बेहद जरूरी है. जब मौसम बदले तो उनकी देखभाल मौसम के हिसाब से की जाती है. इस समय गर्मी का मौसम चल रहा है और हीटवेब के लिए मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है. आपको इस आर्टिकल के जरिए पशु जब प्रेग्नेंट होता है तब और बच्चा होने के बाद उसका किस तरह से ख्याल रखना है, इसके बारे में जानकारी दी जा रही है. ये सलाह एक्सपर्ट द्वारा दी गई है.

पशु जब प्रेग्नेंट होते हैं तो उनकी केयर उसी हिसाब से की जाती है. ताकि पैदा होने वाला बच्चा ​स्वस्थ्य पैदा हो. इसके बाद पशु ज्यादा से ज्यादा दूध का उत्पादन करें और पशुपालकों को डेयरी कारोबार से ज्यादा मुनाफा मिल सके. एक्सपर्ट का कहना है कि जब पशु प्रेग्नेंट हों तो उनकी देखरेख में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. वहीं बछड़ा-बछड़ी पैदा होने के बाद भी पशुओं को देखभाल की जरूरत होती है.

गर्भावस्था में कैसे करें देखभाल: प्रसव के लक्षण दिखाई देने के बाद अन्य पशु से अलग कर देना चाहिए. उसके रहने का स्थान साफ सुथरा, हवादार, और बिना फिसलने वाला होना चाहिए. ब्याने के एक दिन पहले गाभिन पशु की योनि से लेसेदार द्रव्य का स्त्राव होता है. ऐसे में पशु को बगैर कोई दिक्कत पहुंचाए हर घंटे रात के समय भी देखें.
जहां तक हो सके, प्रसव के समय पशु के आसपास किसी प्रकार का शोर नहीं होने देना चाहिए. पशु के पास किसी गैरजरूरी इंसान को भी नहीं जाने देना चाहिए.

पशु को बच्चे का शरीर चाटने दें: जैसे बच्चा बाहर आ जाए, उसे पशु को चाटने देना चाहिए. जिससे उसके शरीर में लगा श्लेषमा सूख जाए. जरूरत हो तो साफ नरम तौलिया से बच्चे को साफ कर दीजिए. वहीं जल थैली दिखने के एक घंटे बाद तक यदि बच्चा बाहर न आए तो बच्चे को निकालने में पशु की मदद के लिए पशु चिकित्सक की मदद लें.

जेर गिरने का इतना ही करें इंतजार: बच्चा होने के बाद जेर गिरने का इंतजार करना चाहिए. आमतौर पर 6 से 8 घंटे में जेर गिर जाती है. जैसे जेर गिर जाए उसे उठाकर जमीन में गड्ढा खोद कर दबा देना चाहिए. ताकि जेर को पशु न खाने पाएं. अगर समय पर जेर नहीं गिरती है, तो तत्काल वेटरनरी डॉक्टर से संपर्क कर उसे निकलाएं. प्रसव के बाद पशु के जननांग, पिछला भाग तथा पूंछ को अच्छी प्रकार से साफ करके गुनगुने पानी से धो देना चाहिए.

पशुओं की कैसे करें देखभाल: पशु ब्याने के बाद अगर सावधानी नहीं रखी गई तो पशुओं को जनन संबंधी बीमारियां लग सकती हैं. प्रसव के बाद पशु की देखरेख अच्छी तरह होनी चाहिए. ताकि दूध देने की क्षमता बनी रहे. आमतौर पर प्रसव के बाद पशु में जो बीमारियां होती हैं. उनमें से मुख्य है गर्भाशय का बाहर आना, जेर का रुकना, थनैला रोग इत्यादि. ऐसी स्थिति में पशुपालक भाइयों को चाहिए कि वे पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें तथा पशु का तुरन्त इलाज करवाएं. पशु को गुड़ और नमक गर्म पानी के साथ दिन में दो बार देना चाहिए.

Exit mobile version