Animal Husbandry: दुधारू पशुओं के ब्याने के क्या है संकेत, पहचानने के लिए जानें यहां पूरी डिटेल

दुधारू पशुओं के बयाने के संकेत में सामान्यतया गर्भनाल या जेर का निष्कासन ब्याने के तीन से 8 घंटे बाद हो जाता है.

गाय-भैंस की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. गर्भधारण करने के बाद मादा पशु की देखभाल और उसका मैनेजमेंट बहुत जरूरी होता है. मादा पशु और नवजात बच्चे का स्वास्थ इसी बात पर निर्भर करता है कि मादा पशु की देखभाल कैसी हुई है. पशु के ब्याने तक के समय को गर्भकाल का समय कहते हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक मदचक्र का बंद होना गर्भधारण की पहली पहचान होती है. गर्भधारण के बाद पशु का शरीर भी आकर में बढ़ने लगता है लेकिन कुछ भैंसों में शांत मद होने के कारण गर्भधारण का पता ठीक प्रकार से नहीं लग पाता. दुधारू पशुओं के बयान के संकेत को पहचानने से समय पर पशु चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना संभव हो पता है. ब्याने की संकेत को मूल रूप से तीन अवस्थाओं बनता जा सकता है. एक ब्याने से पहले के संकेत, यानी 24 घंटे पहले दूसरा ब्याना, तीसरा गर्भनाल या जेर का निष्कासन.

ब्याने से पहले 24 घंटे का जो संकेत है, उनमें योनि से स्वच्छ श्रलेष्मा का रिसाव और थनों का दूध से भर जाना प्रमुख है. पशु समूह से अलग रहने की कोशिश करता है. पशु की भूख खत्म हो जाती है. पशु बेचैन होता है और पेट पर लाते मारने की कोशिश करने लगता है या अपने पाश्व को किसी चीज से रगड़ने लगता है. योनि का आकार बड़ा और मांसल हो जाता है.

तीन से आठ घंटे बाद: दुधारू पशुओं के बयाने के संकेत में सामान्यतया गर्भनाल या जेर का निष्कासन ब्याने के तीन से 8 घंटे बाद हो जाता है. पशु बयाने के तीन से 8 घंटे बाद जेर गिरा देता है. अगर ब्याने के 12 घंटे बाद भी गर्भनाल ना गिरे तो इसे गर्भनाल का रुकाव कहते हैं. कभी भी रुकी हुई गर्भनाल को ताकत लगाकर नहीं खींचें, इससे तेज ब्लीडिंग हो सकती है और कभी-कभी पशु की मृत्यु भी हो सकती है. यदि प्रसव के 12 घंटे बाद तक पशु जेर नहीं गिरता है तो तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.

इन महीनों में रखें विशेष ध्यान: पशुओं का ब्याहत वैसे तो लगभग पूरे वर्ष होता रहता है. लेकिन पशुओं में जैसे भैस नवम्बर से दिसम्बर के महीने में ब्याहती हैं. जनवरी की कड़ाके की ठंड के बाद फरवरी और मार्च के आते ही गर्मी की दस्तक शुरू हो जाती है. इनके गर्मी में आने के लिए सर्दी का मौसम बहुत उपयुक्त होता है. जिन पशुओं की गर्भायन अक्टूबर व नवम्बर महीने में होता है वे पशु अगस्त व सितम्बर महीने में ब्याह जाते हैं. गर्भायन होने के 45-60 दिन के अंदर पशु की गर्भ के लिए जांच जरूर करवानी चाहिए. गर्भावस्था के अंतिम दो माह में पशुओं को दूध लेने से अलग कर देना चाहिए. गाय को दूध से हटाने के बाद हर रोज ढाई किलोग्राम संतुलित पशु आहार देना बहुत जरूरी है. ब्याहने के एक सप्ताह पहले गाभिन पशु को अन्य पशुओं से दूर रखना बेहद जरूरी है.

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