Home पशुपालन Green Fodder: मई-जून में चारे की किल्लत हो जाएगी खत्म, किसान आज ही कर लें ये जरूरी काम
पशुपालन

Green Fodder: मई-जून में चारे की किल्लत हो जाएगी खत्म, किसान आज ही कर लें ये जरूरी काम

चारे की फसल उगाने का एक खास समय होता है, जोकि अलग-अलग चारे के लिए अलग-अलग है.
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. भीषण गर्मी में चारे की कमी से पशुपालक और किसान परेशान हो जाते हैं. तेज गर्मी का सबसे ज्यादा असर नहरी और वन क्षेत्र की वनस्पति पर देखने को मिलता है. तेज गर्मी में जब चारा खत्म हो जाएगा तो पशुओं के सामने संकट पैदा हो सकता है. ऐसे में पशुओं को पौष्टिक और हरा चारा कहां से लाएं. इसे लेकर पशुपालक बहुत ज्यादा परेशान रहते हैं. इंडियन ग्रासलैंड एंड फोडर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने चारे की कमी के बारे में चिंता जाहिर कर जल्द ही सकारात्मक कदम उठाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस पर काम नहीं किया गया तो पशुओं के सामने बड़ा संकट पैदा हो सकता है.बता दें कि चारे की कमी को देखते हुए महाराष्ट्र के लातूर जिले के डीएम वर्षा ठाकुर घुगे ने जिले से बाहर चारे के ले जाने पर पाबंदी लगा दी है.

इंडियन ग्रासलैंड एंड फोडर रिसर्च इंस्टीट्यूट, झांसी के डॉयरेक्टर अमरीश चन्द्रा का कहना है कि देश में 12 फीसदी हरे चारे और 23 फीसदी सूखे चारे की कमी है. इसके अलावा खल आदि के चारे में 24 फीसदी की कमी आई है. जिसे जल्द से जल्द दूर करना जरूरी हो गया है. अगर इस समस्या का समाधान जल्द नहीं किया गया तो भविष्य में पशुओं और पशु पालकों के सामने गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी. इसे लेकर किसानों से लेकर कृषि वैज्ञानिकों को मिलकर काम करने की जरूरत है.

संकट कम होने की संभावनाः किसान अपने खेतों में ज्वार, लोबिया और मक्का की मुबाई कर चुके हैं. अगर मौसम ने साथ दिया तो मई-जून में पशुओं के सामने चारे का संकट कम होने की संभावना है. क्योंकि गर्मी में पशुओं खासकर दुधारू और छोटे पशुओं के लिए हरा चारा बेहद जरूरी होती है. हरा चारा खाकर पशु दूध ठीक देते हैं. जबकि गर्मियों में पशुओं का दूध कम हो जाता है.

हरे चारे वाली फसल उगाएंः उत्तर प्रदेश के मथुरा में फरह स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के चारा एक्स्पर्ट डॉक्टर अरविंद कुमार ने बताया कि हरे चारे वाली फसल को आसानी से सुखाकर साइलेज की शक्ल में स्टोर किया जा सकता है. लेकिन किसी भी चारे की फसल को स्टोर करते वक्त इस बात का भी खास ख्याल रखें कि स्टोर किए जा रहे चारे की मात्रा उतनी ही हो कि चारे की आने वाली नई फसल तक स्टोर किया गया चारा खत्म हो जाए. उन्होंने बताया कि घर बैठे ही हरे चारे से बड़ी आसानी से साइलेज बनाया जा सकता है. पतले तने वाले चारे की फसल कसे पकने से पहले ही काट लिया जाए. काटने के बाद तने के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें. इन्हें तब तक सुखाएं जब तक उनमें 15 से 18 फीसदी तक नमी न रह जाए.

मार्च में ही बुवाई कर दें बरसीम और रुजके कीः चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में चारा विभाग के वैज्ञानिक डॉक्टर सतपाल ने कहा कि गर्मियों हरे चारे की कमी हो जाती है. ऐसे में मई-जून में चारे की कमी न हो तो मार्च में ही चारे बुवाई कर दें. मार्च में बुवाई करने से मई में फसल काटी जा सकती है. अगर बरसीम, जई और रुजका की फसल पशुओं के लिए बेहद अच्छा है. ये चारा गर्मियों में पशुओं के लिए लाभदायक भी है.

ऐसे में मोरिंगा की खेती हो सकती है फायदेमंदः वैज्ञानिक डॉक्टर मोहम्मद आरिफ ने बताया कि मोरिंगा को बरसात के सीजन में लगाया जाए तो ज्यादा बेहतर है. बारिश में ये बड़े ही आसानी से लग जाता है. अभी गर्मी का मौसम है. अब से लेकर जुलाई तक मोरिंगा लगाना शुरू कर दिया जाए तो लाभकारी होगा. ख्याल यह रखना है कि इसे पेड़ नहीं बनने देना है. इसके लिए यह जरूरी है कि 30 से 45 सेंटी मीटर की दूरी पर इसकी बुवाई की जाए. इसकी पहली कटाई तीन महीने बाद करनी है.

तीन महीने में यह आठ से नौ फीट की हाईट पर आ जाता है. इसी तरह से पहली कटाई 90 दिन में करने के बाद इसकी कटाई हर 60 दिन बाद करनी है. इसकी कटाई जमीन से एक-डेढ़ फीस की हाइट से करनी है. मोरिंगा की पत्तियों के साथ ही तने को भी बकरियां बड़े चाव से खाती हैं. चाहें तो पशुपालक पहले बकरियों को पत्तियां खिला सकते हैं. इसके तने को अलग रखकर उसके पैलेट्स बना सकते हैं. पैलेट्स बनाने का एक अलग तरीका है. ऐसा करके आप बकरे और बकरियों के लिए पूरे साल के चारे का इंतजाम कर सकते हैं.

Written by
Livestock Animal News Team

Livestock Animal News is India’s premier livestock awareness portal dedicated to reliable and timely information.Every news article is thoroughly verified and curated by highly experienced authors and industry experts.

Related Articles

goat farming
पशुपालन

Goat Farming: बकरियों की रुकी ग्रोथ को कैसे बढ़ाएं, जानें क्या खिलाएं

बकरियों को असालिया खिलाते हैं तो उनका पाचन सुधरता है और रोग...

छोटे जुगाली करने वाले पशुओं में, मादा जुड़वां या तीन बच्चों को पालने में असमर्थ हो सकती है और एक या अधिक बच्चे गर्भ में ही खत्म होने का खतरा हो सकता है.
पशुपालन

Cow: गो उत्पाद बनाना और इससे कमाई करना चाहते हैं तो यहां से लें ट्रेनिंग

आप भी इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का फायदा उठाकर गो उत्पाद बनाने की...

जाफराबादी भैंस गुजरात के जूनागढ़, भावनगर और अमरेली जिलों में पाई जाती है.
पशुपालन

Animal: पशु नहीं कर रहा है जुगाली, पेट में है गड़बड़ तो ऐसे करें इलाज

यदि आपका पशु ज्यादा वजन वाला है. यानि उसका वजन दो ढाई...