नई दिल्ली. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद गोवंश अनुसंधान संस्थान मेरठ में एक अहम बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें डॉ. अशोक कुमार मोहंती, निदेशक, गोवंश अनुसंधान संस्थान, राज्य में पशुधन स्वास्थ्य, उत्पादकता और कल्याण को सशक्त बनाने के लिए वैज्ञानिक तरीकों की भूमिका को अहम बताया. साथ ही इनोवेशन आधारित समाधानों की जरूरत पर बल दिया. प्रमुख सचिव अमित कुमार घोष ने उत्तर प्रदेश में पशुधन समग्र विकास के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी और वैज्ञानिक नवाचारों के माध्यम से पशुधन संसाधनों को सशक्त बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया.
उन्होंने शोध संस्थानों, सरकारी एजेंसियों और किसान समुदायों के बीच मजबूत सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने राज्य के पशु प्रजनन फार्म को केंद्रीय गो अनुसंधान संस्थान की तर्ज पर सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पी.पी.पी.) मॉडल में विकसित करने का प्रस्ताव रखा, ताकि निर्धारित समय के बाद बिना सरकारी सहायता के इसका संचालन संभव हो सके. उन्होंने शीघ्र ही अभिरुचि पत्र (इ.ओ.आई.) आमंत्रित करने का निर्देश दिया.
एक्सपर्ट ने क्या कहा
डॉ. अभिजीत मित्रा ने पशु चिकित्सा शिक्षा और शोध की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन देने में भूमिका को रेखांकित किया. उन्होंने दुवासु मथुरा की ज्ञान साझा करने की पहल में योगदान देने की तत्परता व्यक्त की और केंद्रीय गौवंश अनुसंधान संस्थान तथा राज्य पशुपालन विभाग के साथ मिलकर प्रशिक्षण और नीति सुधार कार्यक्रमों का नेतृत्व करने पर सहमति जताई.
डॉ. देवेंद्र कुमार पांडेय ने चल रही योजनाओं और नीति ढांचों का विवरण दिया, जो पशुपालकों को सशक्त बनाने और पशुधन संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संचालित हैं.
उन्होंने कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने पर बल दिया तथा कृत्रिम गर्भाधान में उपयोग किए जाने वाले वीर्य की ट्रैसेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए प्रजनन अधिनियम लागू करने का समर्थन किया.
डॉ. योगेंद्र सिंह पंवार ने संसाधनों के कुशल प्रबंधन, रोग नियंत्रण और प्रजनन कार्यक्रमों में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया तथा तकनीकी दिशा-निर्देशों और क्षमता निर्माण पहलों को अपनाने की विभाग की तत्परता दोहराई.
परस्पर संवादात्मक बैठक में एसवीपीयूएटी, मेरठ के विशेषज्ञों, जिनमें डॉ. कुलदीप त्यागी भी शामिल थे, ने ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोग्राम्स के लिए राज्य हिस्से की निधि न मिलने पर चिंता व्यक्त की और राज्य में दीर्घकालिक प्रजनन परियोजनाओं की स्वीकृति का अनुरोध किया.