Dairy Animal: इस तरह का आहार देने से पशुओं की हो जाती है मौत, जानें क्यों होता है ऐसा

अगर आप चारा व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो उसे कुछ चरणों में शुरू कर सकते हैं.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. पशुपालन व्यवसाय में आहार पर सबसे से ज्यादा खर्चा होने के कारण संतुलित आहार का विशेष महत्व है. हरे चारे से न्यूनतम दर पर पोषक तत्वों की आपूर्ति के कारण इन्हें सबसे बेहतर पशु आहार माना गया है. अकाल की स्थिति होने के कारण इनकी उपलब्धता बेहद कम हो जाती है. चारे की फसलों की बुआई के बाद पानी की कमी के कारण फसलों में इजाफा रुक जातर है और चारा सूखने लगता है. इस वजह से अविकसित और मुरझापे हुये चारे में टॉक्सीन पैदा हो जाते हैं. जिनके खाने से पशुओं को टॉक्सीन की शिकायत हो जाती है.

चारे की कमी में पोषक तत्वों को यूरिया उपचारित करके पशुओं को खिलाया जाता है. यूरिया से उपचारित सूखा चारा तैयार करते समय असावधानी से या यूरिया उपचारित चारे की अधिक मात्रा के सेवन से विषाक्तता हो जाती है. पशुओं में फीड टॉक्सीन कई कारणों में हो सकती है, जिन पर पशुपालकों का कोई नियंत्रण नहीं होता है. कुछ टॉक्सीन आमतौर पर पशुपालक की जानकारी में हो जाती है. इन पर पशुपालक कुछ सावधानियां रख सकते है एवं अपने पशुओं को इनके प्रभाव से बचाकर रख सकते हैं. यहां हम आपको एक टॉक्सीन के बारे में बताने जा रहे हैं.

सायनाइड टॉक्सीन क्या है
सायनाइड टॉक्सीन ऐसे चारे के सेवन से होती है, जिसमें सायनोजेनिक ग्लुकोस होते हैं. इन ग्लुकोसाइड पर चारे अथवा रूमेन में मौजूर एंजाइम की क्रिया से सराइड्रोसायनिक अम्ल बनता है, जो लेजिस्लेटर होता है. सायनाइड विषाक्तता में शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे दम घुटने से पशु की मौत हो जाती है. हरे चारे के अभाव में भूखे पशु या चारा देखते ही लालच में इसे खा लेते हैं. जानकारी के अभाव में पशुपालक भी मुरझाई हुई और अविकसित ज्वार, बाजरा एवं चरी को हरे चारे के अभाव में देने लगते हैं. इसके कारण पशु की मृत्यु हो जाती हैं.

क्या हैं इसके लक्षण
यूं तो ऐसे कई पौधे चारे हैं, जिनके सेवन से सायनाइड टॉक्सीन हो सकती है लेकिन इनमें सायनाइड की मात्रा विभिन्न मौसमों एवं पौधे के विभिन्न भागों में अलग-अलग होती है. आमतौर ज्वार, बाजरा, चरी आदि चारों में कभी-कभी कुछ विशेष परिस्थितियों में सापनोजेनिक ग्लुकोसाइड की अधिक मात्रा होने के कारण इनके सेवन से पशुओं की मृत्यु हो जाती है. चारे में जहर की मात्रा उसकी अवस्था मृदा में नाइट्रोजन की उपस्थिति, किसान द्वारा बुआई के समय चारे की वृद्धि के लिये दी गई यूरिया या अन्य खाद एवं पानी की कमी आदि कारकों पर निर्भर करती है.

ये दिक्कतें भी होने लगती हैं
सायनाइड वाले चारे के अचानक अधिक सेवन के 10 से 15 मिनट बाद ही पशु में टॉक्सीन के लक्षण जाहिर होने लगते हैं. पशु बेचैन होने लगता है, उसके मुंह से लार गिरने लगती है. सांस लेने में कठिनाई होने लगती है. पशु मुंह खोतकर सांस लेड़ा है. मांस पेशियों में पेट दर्द होने लगता है, बेहद कमी को से पैर लड़खड़ा कर जमीन पर गिर जाता है. पशु अपने सिर को पेट की ओर घुमाकर रखता है.

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