नई दिल्ली. उत्तराखंड की ऊंची पहाड़ियों और शांत घाटियों बीच एक समर्पित परंपरा हर रोज निभाई जाती है. जिसके तहत हर रोज बद्री गायों के दूध से घी तैयार किया जाता है. आंचल बद्री घी सिर्फ घी ही नहीं है बल्कि ये एक परंपरा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बद्री गायों के दूध से घी बनाने का का सफर कोई साधारण कि नहीं है, यह उस बद्री नस्ल की गायों के दूध से बनाया गया जाता है, जो हिमालय की गोद में पलती हैं, जहां प्रकृति अपने सबसे निर्मल अवस्था में होती है. वहीं रासायनिक रहित प्राकृतिक चारे पर उत्तराखंड की वादियों में बद्री गाय को पाला जाता है.
यहां पल रही गायों को खुली हवा में सांस लेने का मौका मिलता है. वहीं उन्हें साफ पानी भी उपलब्ध कराया जाता है. जबकि इन्हें बेहद ही प्यार के साथ पाला जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इसी वजह से इनका दूध उतना ही शुद्ध और पौष्टिक होता है. जिससे शुद्ध घी भी तैयार किया जाता है. जिसको लोगों का बहुत प्यार मिलता है.
इस तरह से तैयार किया जाता है घी
बता दें कि आंचल घी बनाने के लिए सबसे पहले बद्री गायों के दूध को इकट्ठा किया जाता है और फिर घी बनाने का काम शुरू किया जाता है. सबसे पहले दूध को उबालकर उसका दही जमाया जाता है. इसके बाद इस दही को मथ कर इसमें से मक्खन निकाला जाता है और इस देसी तरीके से बड़े ही धीरे-धीरे मथा जाता है, ताकि इसमें घरेलू स्वाद आए. मक्खन को निकालने के बाद इसे धीमी आंच पर पकाया जाता है. धीरे-धीरे जब यह मक्खन सुनहरे रंग में ढल जाता है और इसकी खूशबू हवा में फैलने लगती है तो समझ लीजिए की घी तैयार हो गया.
इसलिए शुद्धता की कसौटी पर उतरता है खरा
आंचल घी स्वाद में बेहतरीन होता है. ये हर तरह से शुद्ध माना जाता है. क्योंकि हर बैच को सख्त गुणवत्ता परीक्षणों से गुजारा जाता है. बद्री घी बनाने वाली कंपनी लोगों को इसलिए भी शुद्ध घी उपलब्ध कराने पर बाध्य है कि ये लोगों के जीवन से जुड़ी परंपराओं में भी जुड़ा हुआ है. घी बनाने वाले लोगों का दावा है कि चाहे आरती की बात हो, आयुर्वेदिक चिकित्सा की बात हो या फिर बच्चों की पोषण की बात, आंचल बद्री की हर जगह उपयुक्त है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आंचल बद्री घी उत्तराखंड के हजारों दूध उत्पादकों की मेहनत का नतीजा है. क्योंकि इन्हीं लोगों से दूध लिया जाता है और फिर घी तैयार किया जाता है.