नई दिल्ली. भीषण गर्मी का दिन चल रहा है. ऐसे में हर किसी को पानी की सख्त जरूरत होती है. आम इंसान तो कहीं न कहीं से अपने लिए पानी के इंतजाम कर ही लेता है लेकिन जानवरों और पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था एक मुश्किल काम है. गर्मियों में बहुत से आवारा पशु और आसमान में उड़ने वाले पक्षियों को पानी मुहैया नहीं हो पाता है. सरकारें और एनजीओ इसको लेकर अभियान भी चलाती हैं और लोगों को जागरुक भी करती हैं कि लोग पशु पक्षियों कभी ख्याल रखें. उनके लिए पानी मुहैया कराएं. ताकि पानी न मिलने से होने वाली परेशानी से पशु पक्षियों को बचाया जा सके.
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार सरकार की ओर से पशु पक्षियों के पीने के पानी की व्यवस्था को लेकर एक जागरूकता वाली पोस्ट फेसबुक पेज पर की गई है. जिसमें कहा गया है कि इस धरती पर पशु पक्षियों को पानी का उतना ही हक है जितना आम इंसानों को.
पशु को कितनी होती है पानी की जरूरत
आपको बता दें अगर एक पशु को उसकी दिन की आवश्यकता के अनुसार 30 से 70 लीटर पानी की जरूरत होती है. व्यस्क गाय 30 से 40 लीटर पानी पी लेते हैं. आमतौर पर आपको गौवंश रोड पर बेसहारा गाय घूमती नजर आ जाएंगे. इन जानवरों के लिए आप अपने घर के बाहर या किसी हैंडपंप के किनारे पानी की व्यवस्था कर सकते हैं. जहां से वह पानी पीकर अपनी प्यास बुझा सकते हैं. इस काम से उनकी जान बच जाएगी.
पक्षी कितना पीते हैं पानी
वहीं पक्षियों को हर दिन अपने शरीर के वजन के हिसाब से लगभग पांच प्रतिशत पानी की जरूरत होती है. यह पानी अपशिष्ट को निकालने, सांस लेने और वाष्पीकरण से पानी की भरपाई के लिए होता है. पानी पक्षियों के शरीर को हाइड्रेट करता है और उन्हें जीवित रखने में मददगार साबित होता है. आमतौर पर लोगों को अपने घरों में टीन शेड या किसी छायादार जगह पर किसी गमले, प्लास्टिक या मिट्टी के बर्तन में पानी रख देना चाहिए. जहां से पक्षी पानी पी सकें.
क्या की गई है अपील
बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने कहा कि पशु-पक्षियों के पीने के पानी की व्यवस्था एक जरूरत है. इस धरती पर पशु-पक्षियों का उतना ही हक है, जितना कि हम मनुष्यों का. गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है. मुंह न बोल पाने वाले पशु-पक्षियों को, संचित एवं बहते जल स्रोतों की कमी के कारण, प्यास से तड़पना पड़ता है. गर्मी में पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए हमें प्रयास करना चाहिए. जीवन के लिए कोशिका जरूरी होती है और जिसका अधिकांश भाग लगभग 70 फीसद पानी से बना होता है. बढ़ती आबादी और इंसानों की बसावट से जंगल और पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है. इसके कारण बारिश कम हो रही है, तालाब और नदियों का पानी सूख रहा है, और जल स्तर गिर रहा है.