Rabies And Bird Flu: मध्य प्रदेश में बेहद कम समय में रैबीज और बर्ड फ्लू की एक ही सेंटर में होगी जांच

Lab On Chip, Lab On Strip, Harcourt Butler Technical University,

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. रैबीज और बर्ड फ्लू दोनों ही खतरनाक बीमारी है. रैबीज की बीमारी आमतौर पर कुत्तों के काटने से होती है. कई बार जानवरों को भी कुत्ते काट लेते हैं और इससे उनकी मौत हो जाती है. जबकि बर्ड फ्लू भी बेहद ही खतरनाक बीमारी है और इस बीमारी के चलते पूरा का पूरा पोल्ट्री फार्म तबाह हो जाता है. एक बार ये बीमारी का असर दिखाई दे जाए तो पोल्ट्री सेक्टर को तगड़ा नुकसान होता है. इसलिए इन बीमारियों से बचाव के लिए जरूरी बचाव के तरीके अपनाने जरूरी हैं. ताकि नुकसान से बचा जा सके.

बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने भोपाल में जहांगीराबाद स्थित प्रदेश की एकमात्र राज्य स्तरीय पशु चिकित्सा लैब में रेबीज व बर्ड फ्लू की भी प्रारंभिक जांच करने का सिस्टम तैयार करा दिया है. इसके लिए लैब का निर्माण बायोलाजिकल सेफ्टी लेवल-दो के स्तर का किया जा रहा है. यह लेवल सेफ्टी के मापदंड के अनुसार बनाया जाता है, जिससे कि लैब से किसी तरह का संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहे.

कम समय में होगी जांच
बता दें कि यहां पर नई लैब बनाई गई है. जिसका विस्तार अगले छह माह के भीतर किया जाना है. जिसमें बर्ड फ्लू के जांच की भी सुविधा रहेगी. अभी प्रदेश भर से बर्ड फ्लू की जांच के लिए सैंपल भोपाल में ही एशिया की सबसे बड़ी उच्च सुरक्षा पशु रोग प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं. यहां भारत ही नहीं दूसरे देशों के भी विभिन्न बीमारियों के सैंपल आते हैं, जिससे कई बार जांच रिपोर्ट आने में 10 दिन तक भी लग जाते हैं. पशु चिकित्सां विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बीएसएल-दो लैब में रेबीज के जांच की भी सुविधा रहेगी. अभी इसके सैंपल भी उच्च सुरक्षा पशु रोग प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं. इससे समय की बचत होगी.

पूरे राज्य के सैंपल की होगी जांच
बर्ड फ्लू और रेबीज दोनों संक्रामक बीमारियां हैं. बर्ड फ्लू का वायरस हवा के माध्यम से भी फैल सकता है. इसलिए इसकी जांच में विशेष सतर्कता और संसाधन की आवश्यकता होती है. इसी तरह से रेबीज भी कुत्ते, बिल्ली, बंदर सहित सहित कई जानवरों में पाई जाने वाली बीमारी है, इनके काटने या लार के संपर्क में आने से इंसान भी प्रभावित हो जाते हैं. इसके अतिरिक्त वायरस से होने वाली कुछ और बीमारियां और वायरल लोड का पता लगाने के लिए भी नई लैब में जांचें हो सकेंगी. जांच की यह सुविधाएं शुरू होने से भोपाल ही नहीं पूरे प्रदेश के सैंपल यहां जांचें जा सकेंगे.

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