Fisheries: केज कल्चर फिश फार्मिंग करने से खेती करने वाले किसानों की इनकम में हुई जबदस्त ग्रोथ, पढ़ें ये रिपोर्ट

तालाब में खाद का अच्छे उपयोग के लिए लगभग एक सप्ताह के पहले 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर बिना बुझा चूना डालने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं.

तालाब में मछली निकालते मछली पालक

नई दिल्ली. झारखंड के चांडिल रिजर्वायर में जब पिंजरे में मछली पालन शुरू हुआ तो इससे लोगों के समाजिक एवं आर्थिक स्थिति में सुधार आया. फिश फार्मिंग के साथ इस पूरे मसले पर रिसर्च भी की गई. जिसके बाद ये नतीजा निकला कि इसका फायदा मिला है. रिसर्च में सामने आया है कि रिजर्वायर में पिंजरे में मछली पालन का लोगों की आजीविका पर अच्छा असर पड़ा. यह रिजर्वायर विस्थापित हुए लोगों के लिए आजीविका का एक अच्छा विकल्प बन गया. रिजर्वायर के अंदर रखे गए केज में मछली पालन से लोगों को रोजगार भी मिला.

बता दें कि नेचुरल कैपिटल के तहत कृषि वाली भूमि और जल क्षेत्र, मछली उत्पादन, मछली के बीज की उपलब्धता और मछली की विभिन्न प्रजातियों की उपलब्धता पर रिसर्च किया गया. ये जरूर है कि रिजर्वायर निर्माण से कृषि वाली भूमि के क्षेत्र में कमी आयी. इसके कारण शुरू में तो केज में मछली पालन पर निगेटिव असर देखा गया है लेकिन बाद में इसका फायदा भी समझ में आने लगा.

कई गुना बढ़ गई इनकम
जब केज में मछली पालन शुरू किया गया है और इसका नतीजा आने लगा तो इससे जुड़े सदस्यों की औसत वार्षिक आय 3,50,000 तक पहुंच गई. जो राष्ट्रीय और झारखंड राज्य की औसत वार्षिक आय से अधिक थी. वहीं पूंजी के साथ फिजिकल कैपिटल के तहत घर का प्रकार, घर में पेयजल, बिजली एवं स्वच्छता की सुविधा, विकित्सा, परिवहन, घर में स्वच्छता का पर रिसर्च किया गया. सदस्यों ने बताया गया कि उनका अपना घर है और ज्यादातर (61.5 फीसदी) के पास पक्का घर है. कुल 70 फीसदी सदस्यों के घर में पीने के पानी की सुविधा थी. परिवहन के साधन के रूप में साइकिल का उपयोग 70.5 फीसदी सदस्यों द्वारा किया जाता था.

घरों में ये सुविधाएं भी आईं
रिसर्च में ये पता चला कि केज में मछली पालन शुरू किया तो आय में इजाफे के कारण घर में पीने के पानी, बिजली और साफ-सफाई की बेहतर सुविधा हो सकी है. मछली बाजार की सुविधाओं में भी अपेक्षाकृत सुधार हुआ था. कुछ सुविधाएं जैसे बिजली, परिवहन, घर की प्रकृति में पारिवारिक स्तर पर एवं मछली बाजार, स्वच्छता, पीने का पानी में सामूहिक स्तर पर सुथार पाई गयी. यह पाया गया कि केज में मछली पालन सदस्यों को उपलब्ध वित्तीय पूंजी भी बढ़ी. जिसके बाद इन लोगों ने संपत्ति, भोजन, स्वास्थ्य, उत्पादन उपकरण, शिक्षा और आवास में निवेश किया.

इस देश में भी मिला फायदा
आपको बताते चलें कि जब रिजर्वायर का निर्माण किया गया तो अधिकांश सहकारी समिति के सदस्यों के पास 1 हेक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि थी. ये खत्म होने पर वो परेशान थे लेकिन फिर उनकी आय में इजाफा हुआा. वहीं इंडोनेशिया में केज में मछली पालन करने वाले किसानों की भी सामाजिक स्थिति पर अध्ययन करने के दौरान मछली उत्पादन और केज में मछली पालन करने वाले किसानों की आय में वृद्धि के बारे में बताया है.

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