Dairy Farming: 94 महिला किसानों को दिया कार्बन क्रेडिट कार्ड, NDDB के अध्यक्ष ने कही ये बात

डॉक्टर शाह ने डेयरी के साथ-साथ डूंगरपुर के किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया

म​हिला किसान पुरस्कार समारोह में मौजूद अतिथि व महिलाएं।

नई दिल्ली. राजस्थान में जन शिक्षा एवं विकास संगठन (पीईडीओ) से जुड़ी 94 ​महिला किसानों को कार्बन क्रेडिट का भुगतान किया गया. यह पहली बार है जब डेयरी क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट भुगतान के लिए CBDC का उपयोग किया. म​हिला किसान पुरस्कार समारोह में द्वारा राजस्थान के माडा गांव में एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉक्टर मीनेश शाह ने डिजिटल करेंसी दी. इन महिला किसानों को उनके योगदान के लिए उन्हें प्रशंसा पत्र भी प्रदान किए. महिलाओं को केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी CBDC, आबीआई द्वारा जारी एक सेफ और पारदर्शी डिजिटल मुद्रा है. जिसका मकसद किसानों को सीधे फाइनेंसियल लाभ पहुंचाना है. एनडीडीबी ने National Payments Corporation of India और आरबीआई के सहयोग से, Punjab National Bank के माध्यम से किसानों तक यह भुगतान पहुंचाया. किसान इस राशि का उपयोग अपनी सहकारी संस्थाओं द्वारा उत्पादित खनिज मिश्रण, पशु फीड और गोबर आधारित जैविक खाद (PROM) जैसी आवश्यक सामग्रियों की खरीद में कर पाएंगे, जिससे ग्रामीण सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा.

पीईडीओ में किए गए इस पायलट को आगे बढ़ाकर किसानों को लक्षित लाभ (Targeted Benefit) पहुंचाने के लिए और डेयरियों के माध्यम से दुग्ध भुगतान (Milk Bill Payment) के क्षेत्र में भी विस्तारित किया जा सकता है. यह ग्रामीण भारत में वित्तीय समावेशन और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. डॉक्टर शाह ने कहा, कि एनडीडीबी डेयरी से ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कार्य कर रही है. भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है. अभी 240 मिलियन मीट्रिक टन दूध उत्पादन कर रहा है और आज सहकारी संस्थाएं किसानों को प्रतिदिन 300 करोड़ रुपये का सीधा भुगतान कर रही हैं. इसका श्रेय महिला किसानों को जाता है. देश वैश्विक दुग्ध उत्पादन का 25 फीसदी उत्पादन कर रहा है और अगले कुछ वर्षों में यह 33 फीसदी तक पहुंचने की संभावना है, जिससे डेयरी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा.

पीएम मोदी के विजन हो रहा साकार: डॉक्टर शाह ने बताया कि पीएम मोदी के ‘गोबर से कंचन’ विजन को साकार करने के लिए एनडीडीबी और सस्टेन प्लस द्वारा कई बायोगैस प्लांट स्थापित किए गए हैं. डूंगरपुर में भी इस पहल को लागू किया गया है, जिससे किसानों को बहुप्रयोजन लाभ मिल रहा है. गोबर से बनी बायोगैस के प्रयोग से जहां एलपीजी पर होने वाला खर्च कम हुआ है, वहीं इससे किसानों की इनकम में भी ग्रोथ हो रही है. इसके अलावा बायोगैस संयंत्र से निकलने वाली स्लरी का उपयोग जैविक खाद के रूप में किया जा रहा है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ रही है और पर्यावरण संरक्षण में योगदान मिल रहा है. अब तक डूंगरपुर में 1100 से अधिक बायोगैस प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे किसानों को कार्बन क्रेडिट का भी लाभ मिल रहा है.

होम मिनिस्टर ने दिया था पहला चेक: डॉक्टर शाह ने यह भी साझा किया कि पिछले वर्ष अक्टूबर में एनडीडीबी की हीरक जयंती के दौरान आणंद में गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने देश का पहला कार्बन क्रेडिट चेक भीलवाड़ा की एक महिला किसान को दिया था. उन्होने किसानों को अधिक से अधिक बायोगैस प्लांट लगाने के लिए प्रेरित भी किया, ताकि गोबर से निकलने वाली मीथेन गैस को बायोगैस में परिवर्तित कर पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके और साथ ही किसानों की आर्थिक स्थिति को और सशक्त बनाया जा सके.

किसानों को मिलेंगे नए मौके: डॉक्टर शाह ने कहा, कि डिजिटल भुगतान की पहल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह किसानों के लिए एक नया अवसर है और इससे डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा मिलेगा. पहले एफपीओ और एमपीओ में पुरुषों की भागीदारी अधिक थी, लेकिन अब नए FPOs/ MPOs में महिलाओं की 100 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है.

किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया: डॉक्टर शाह ने डेयरी के साथ-साथ डूंगरपुर के किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया और आश्वासन दिया कि एनडीडीबी, एनसीओएल के जरिए उनके प्रोडेक्ट को अच्छा रेट और बेहतर मार्केट उपलब्ध कराने में सहयोग करेगा. उन्होंने बांसवाड़ा और डूंगरपुर में स्थापित हो रहे नए प्लांट के लिए एनडीडीबी के पूर्ण सहयोग का आश्वासन देते हुए महिला किसानों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद किया.

ये रहे मौजूद: इस दौरान आबीआई के उप महाप्रबंधक सिरिन कुमार और विकास अग्रवाल, एनपीसीआई के प्रभारी (सरकारी संबंध एवं डीबीटी पहल) रविकांत शर्मा, पीएनबी के महाप्रबंधक श्याम सुंदर सिंह, पीईडीओ के निदेशक देवीलाल व्यास, पीएनबी उदयपुर के सर्कल हेड सुरेंद्र कुमार विश्वकर्मा, निर्मला कंवर सहित आदि व्यक्ति मौजूद थे. कार्यक्रम में डूंगरपुर, राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों की 3000 से अधिक महिला किसान भी शामिल हुईं.

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