नई दिल्ली. मिड डे मील में बच्चों को अंडे दिए तो स्कूल में हाजिरी ऐसी बढ़ी कि अब अधिकांश बच्चे स्कूल में आ रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य सरकार ने कहा कि मध्याह्न भोजन यानि मिड डे मील के साथ एक वीक में दो बार के बजाय छह बार अंडे देने के बाद कर्नाटक के स्कूलों में बच्चों की अनुउपस्थिति की दर 6.5 फीसदी से घटकर 1 फीसदी रह गई है. स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने कहा, कि जब सप्ताह में दो बार अंडे दिए जाते थे, तो छात्रों की उपस्थिति 93.5 फीसदी थी. हालांकि अब अंडे सप्ताह छह दिन दिए जाने लगे तो यह आंकड़ा बढ़कर 98.97 फीसदी हो गया है.
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने बताया, कि अगस्त में जब वीक में दो बार अंडे दिए गए, तो 32.33 लाख छात्रों ने अंडे खाए, 7.09 लाख ने केला चुना और 8.70 करोड़ ने चिक्की खाना चुना. साउथ फर्स्ट ने बताया कि जनवरी में जब सप्ताह के छह दिन अंडे का बंटना शुरू हुए तो 6.64 करोड़ छात्र अंडे खा रहे थे, अन्य 1.61 करोड़ ने केले और 2.32 करोड़ ने चिक्की खाना चुना.
जिन छात्रों ने अंडे खाना नहीं चुना, उन्हें दिए केले और चिक्की जो छात्र अंडे नहीं खाना चाहते थे, उन्हें केले और चिक्की दिए गए. राज्य सरकार ने अब खराब गुणवत्ता के कारण चिक्की का वितरण बंद कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोलार जिले में सबसे अधिक 84.16 फीसदी छात्र अंडे खाते हैं, उसके बाद कोडागु (83.89 फीसदी) और हसन (81.26 फीसदी) का स्थान है।
छह दिन अंडे और केलेन देने से बढ़ी हाजिरी स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के आयुक्त केवी त्रिलोक चंद्र ने बताया, कि यह देखा गया है कि सप्ताह में छह दिन अंडे और केले दिए जाने से स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ गई है. यह एक अच्छी बात है, क्योंकि इससे न केवल बच्चों में कुपोषण कम होगा, बल्कि वे शैक्षणिक रूप से भी विकसित होंगे.