CIRG के कैंप में किसानों ने बकरी पालन की बारीकियां सीखीं, उपकरण भी मिले

cirg goat farming training

ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लेने वाले किसान और अफसर.

नई दिल्ली. बकरी पालन को फायदेमंद बनाने और लघु किसानों को इसके व्यवसाय करने के प्रति जागरुक करने के लिए सीआईआरजी की ओर से अक्सर कार्यशाला का आयोजन किया जाता है. जहां पर किसानों को इस व्यवसाय से जुड़ी तमाम जानकारी दी जाती है. किसानों को बकरी पालन से जुड़ी जानकारी के साथ-साथ ट्रेनिंग भी दी जाती है. झारखंड में इसी तरह का प्रोग्राम आयोजित किया गया, जहां पर आदिवासी किसानों को तकनीकी साहित्य और छतरियों सहित प्रशिक्षण किट भी वितरित किए गए. वहीं बुन्देलखण्ड क्षेत्र में एनएलएम परियोजना के तहत एक स्वास्थ्य शिविर और किसान गोष्ठी का आयोजन किया था.

बकरी पालन के बारे में सीखा
जानकारी के मुताबिक 27 जनवरी सीआईआरजी ने डीएपीएसटी परियोजना के तहत वैज्ञानिक बकरी पालन पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया. इस आयोजन में 10 महिला किसानों जो झारखंड के चार जिलों से भाग लेने के लिए आईं थीं. उन्हें तमाम तकनीकि के बारे जागरुक किया गया है. उनके सहित 100 एसटी किसानों ने भी इसमें भाग लिया और विशेष रूप से बकरी पालन की वैज्ञानिक प्रथाओं के बारे में तमाम जानकारियों को एक्सपर्ट ने उनके साथ साझा किया. कार्यक्रम में आदिवासी किसानों को तकनीकी साहित्य और छतरियों सहित प्रशिक्षण किट भी वितरित किए गए.

दवा और किट हासिल की
वहीं सीआईआरजी ने उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में एनएलएम परियोजना के तहत एक स्वास्थ्य शिविर और किसान गोष्ठी का आयोजन किया. 27 जनवरी को ही महोबा के जैतपुर ब्लॉक के छितवारा और कुलपहाड़ में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम के अवसर पर दवा किट वितरित की गईं. सीआईआरजी ने बुन्देलखण्ड की एनएलएम परियोजना के तहत किसान गोष्ठी और स्वास्थ्य शिविर का भी आयोजन किया. वहीं 28 जनवरी को बांदा के बड़ोखर खुर्द ब्लॉक के चहियारा गांव में पीपीआर के खिलाफ टीकाकरण, निलज़न द्वारा कृमि मुक्ति, आनुवंशिक और दूध के लिए बायोसैंपल का संग्रह हुआ. इस अवसर पर हिमालयन बतीसा एवं खनिज मिश्रण के साथ बकरी औषधि किट एवं तकनीकी साहित्य वितरित किये गए.

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