Animal Husbandry: घरेलू उपायों से ठीक कर सकते हैं गायों की ये बीमारियां, यहां जानिए डिटेल

सीता नगर के पास 515 एकड़ जमीन में यह बड़ी गौशाला बनाई जा रही है. यहां बीस हजार गायों को रखने की व्यवस्था होगी. निराश्रित गोवंश की समस्या सभी जिलों में है इसको दूर करने के प्रयास किया जा रहे हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. वैसे तो गाय का पालन करना बड़ा ही फायदेमंद है. गाय दूध उत्पादन करती है तो पशुपालक इसे बेचकर अच्छी खासी कमाई करते हैं. बहुत ही गाय का दूध बेहद ही पौष्टिक भी होता है. जबकि देशी गायों के दूध में पाया जाने वाला ए2 इसे और ज्यादा उपयोगी बना देता है. हालांकि अक्सर गाय के शरीर में कई ऐसे सामान्य रोग पैदा हो जाते हैं, जो उनकी मौत का कारण तो नहीं बनते, लेकिन उनकी उत्पादकता पर गहरा असर डालते हैं. इन पशु रोग के उपचार तो कराना ही चाहिए. ताकि बीमारी दूर हो सके.

पशुओं का अगर वक्त रहते इलाज नहीं कराया गया तो इससे वो नार्मल बीमारी भी गंभीर रूप ले लेती है. इससे गाय के दूध के प्रोडक्शन पर असर पड़ता है और जिसका नुकसान पशुपालकों को होता है. क्योंकि पशुपालक गाय के दूध को ही बेचकर कमाई करते हैं और जब उत्पादन कम होता है तो उन्हें नुकसान होता है. जबकि दाना-पानी पर खर्च तो उन्हें करना ही पड़ता है. वहीं गंभीर बीमारी होने पर दवाओं का खर्च भी बढ़ जाता है. ऐसे में पशुपालक कुछ घरेलू उपाय से भी पशुओं का इलाज कर सकते हैं.

दस्त और मरोड़ की बीमारीः इस बीमारी में गाय पतला गोबर करने लगती है और पेट में दस्त और मरोड़ की शिकायत रहती है. ये समस्या अमूमन तब पैदा होती है जब गाय को ठंड लग जाती है. इस वक्त पशु को हल्का आहार ही देना चाहिए जैसे माड़, उबला हुआ दूध, बेल का गुदा आदि. वहीं साथ ही बछड़े या बछड़ी को दूध कम पिलाना चाहिए और पशु चिकित्सक से भी इलाज कराना चाहिए.

जब जेर का अंदर रह जाएः गाय के प्रसव के बाद जेर 5 घंटे के भीतर गिर जाती है. यदि ऐसा न हो तो गाय दूध भी नहीं देती है. ऐसे में तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करके जेर से जुड़े समाधान करने चाहिए. इसके अलावा पशु के पिछले भाग को गर्म पानी से धोना चाहिए. इसके साथ ही जेर को हाथ नहीं लगाना चाहिए न ही जबरदस्ती जेर खींचना चाहिए.

योनि का प्रदाहः ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें गाय के प्रसव के बाद जेर आधी शरीर के बाहर रहती है और आधी अंदर. जबकि पशु के शरीर का तापमान बढ़ जाता है और योनिमार्ग से बदबू आती है. इसके साथ ही पशु की योनि से तरल पदार्थ भी गिरता है. तुरंत पशु चिकित्सक की निगरानी में पशु को गुनगुने पानी में डिटॉल और पोटाश मिलाकर साफ करें. वहीं पशु चिकित्सक के जरिए इसका संपूर्ण इलाज कराना चाहिए.

निमोनिया की बीमारीः निमोनिया इंसान के साथ गायों को भी खासा परेशान करती है. ये रोग अक्सर पशु को ज्य़ादा देर भीगने की वजह से होता है. इस रोग के दौरान पशु का तापमान ज्यादा बढ़ जाता है. जबकि सांस लेने में दिक्कत होती है और पशु की नाक बहने लग जाती है. इस स्थिति में उबलते पानी में तारपीन का तेल डालकर उसकी भांप पशु को सुंघानी बेहतर होता है. इसके साथ ही पशु के पंजार में सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करना भी अच्छा है. अगर ठंड हो तो पशु को इस रोग से बचाने के लिए गर्म स्थान पर रखना होता है.

चोट या घाव होना होन पर क्या करेंः ये बहुत सामान्य स्थिति मानी जाती है. इसमें गर्म पानी में फिनाइल या पोटाश डालकर घाव की धुलाई करना बेहतर होता है. यदि घाव में कीड़े लग जाएं तो एक पट्टी को तारपीन के तेल में भिगोकर पशु को बांध देना बेहतर होता है. मुंह के घावों को हमेशा फिटकरी के पानी से ही धोना चाहिए. इसके साथ ही घाव से संबंधित उपाय जानने के लिए वेटरनरी डॉक्टर से इलाज कराना जरूरी होता है.

जूं और किलनी की दिक्कतः इस समस्या के दौरान नीम के पत्तों को पानी में उबालकर पशु के ऊपर स्प्रे करना बेहतर होता है. या फिर एक कपड़े को इस पानी में डालकर पशु को धोना चाहिए. इस उपाय को कुछ दिन लगातार करने से पशु को जूं और किलनी से छुटकारा मिल जाएगा.

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