नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में अब गौवध अपराध होगा. सरकार की ओर से कहा गया है कि गौ-वंश से समृद्ध प्रदेश में गौ-माता के संरक्षण के लिये समुचित प्रावधान किए गए हैं. गौ-वध को रोकने के लिये समुचित व्यवस्था की गई है. गौ-वध का दोषी पाये जाने पर 7 वर्ष की सख्त सजा देने का कानूनी प्रावधान है. सरकार ने इस पर सख्ती से अमल के निर्देश दिए हैं. बता दें कि मध्य प्रदेश राज्य गौ-वंश में समृद्ध है. प्रदेश में लगभग 1 करोड़ 39 लाख गायें हैं. वर्ष 2019 की पशु गणना के अनुसार मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है.
प्रदेश सरकार अगली पशुगणना में देश में प्रथम स्थान पर आने का प्रयास कर रही है. इसके लिए गौ-पालकों को प्रोत्साहन, गौ-वंश संरक्षण के सरकार के प्रयासों और योजनाओं की जानकारी से अवगत कराया जा रहा है. मध्यप्रदेश में पशु चिकित्सा के लिये गौ-एंबुलेंस का संचालन भी किया जा रहा है.
अर्थव्यवस्था होगी मजबूत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश गौ-वंश संरक्षण सहित अन्य क्षेत्रों में कार्य कर रहा है.
भारत विश्व में 5वी बड़ी अर्थव्यवस्था है. शीघ्र ही भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा. ग्रामों में कृषि कार्य के साथ पशुपालन एवं गौ-पालन किसान की आर्थिक समृद्धि में सहयोगी है.
शहरों में भी गौपालन से पशुपालक अपनी आय बढ़ा सकते हैं। मध्य प्रदेश इस क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहा है.
पशुधन संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं. इस क्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि गौमाता हमारी सनातन संस्कृति का हिस्सा है और इससे विश्व में भारत की पहचान है.
शहरों में शुरू होंगी बड़ी गौ-शालाएं
गौपालन एवं गौ संरक्षण के कार्यों को दृष्टिगत रखते हुए इंदौर, भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर जैसे शहरों में जहां हजारों की संख्या में गौ-वंश है, बड़ी गौशालाएं शुरू की जाएंगी.
शहरों की गौशालाओं में 5 हजार से लेकर 10 हजार तक गौवंश को रखने की व्यवस्था होगी. गाय धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आर्थिक रूप से भी करोड़ों भारतीयों के लिये पूजनीय है.
आज पंचगव्य सहित अनेक उत्पाद आमजन द्वारा उपयोग में लाए जा रहे हैं। कोविड के दौर में गौ-वंश के उत्पादों का उपयोग किया गया.
आयुर्वेद में औषधि के रूप में पंचगव्य जिसमें दूध, दही, घी, गोबर और गौ-मूत्र शामिल हैं संक्रमण को रोकने में मददगार रहा.