नई दिल्ली. मध्यप्रदेश गो-संवर्धन बोर्ड और राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की बैठक पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार लखन पटेल ने कहा है कि गो-संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य बन गया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में इस दिशा में तेज गति से कार्य किया जा रहा है. मुख्यमंत्री दुधारू पशु योजना, कामधेनु निवास योजना, मुख्यमंत्री डेयरी प्लस कार्यक्रम, नस्ल सुधार कार्यक्रम के साथ ही विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का प्रदेश में प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के माध्यम से प्रदेश में न केवल गो-वंश का समुचित पालन पोषण किया जा रहा है, बल्कि दूध उत्पादन में भी लगातार इजाफा हो रहा है. मंत्री पटेल ने गुरुवार को मंत्रालय में मध्य प्रदेश गो-संवर्धन बोर्ड और राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की बैठक लेकर विभागीय गतिविधियों की समीक्षा की और आवश्यक निर्देश दिए. बैठक में प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी श्री उमाकांत उमराव, सचिव श्री सत्येंद्र सिंह, गो-संवर्धन बोर्ड के प्रबंध संचालक, राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध संचालक सहित सभी संबंधित अधिकारी मौजूद थे.
बैठक में क्या दिए निर्देश
पटेल ने कहा के प्रदेश में स्वाबलंबी गो-शालाओं की स्थापना नीति पर तेज गति से कार्य किया जा रहा है. योजना के तमि प्रदेश में 28 स्थान चिन्हित किए गए हैं तथा 8 स्वयं सेवी संस्थाओं को भूमि भी दी जा चुकी है.
योजना में 5000 एवं अधिक गोवंश के पालन पर शासन की ओर से 130 एकड़ तक भूमि आवंटित किए जाने का प्रावधान है. गो-शालाओं के लिए चारा भूसा अनुदान योजना के अंतर्गत इस वित्त वर्ष में विभिन्न गौशालाओं को 133.35 करोड़ रुपए दिए गए हैं.
गत वर्ष इस योजना में 270.40 करोड़ रुपए गो-शालाओं को अनुदान के रूप में दिए गए थे. गो-शालाओं को चारा-भूसा के लिए दिए जाने वाली राशि में इस बार सरकार द्वारा दोगुनी वृद्धि की गई है. अब यह राशि प्रति पशु 40 रुपए प्रतिदिन हो गई है.
प्रदेश में गो संवर्धन बोर्ड के अंतर्गत 2942 गौशालाएं पंजीकृत है, जिसमें 2828 गो-शालाएं संचालित हैं. इन गो-शालाओं में 04 लाख 22 हजार गो-वंश का पालन पोषण किया जा रहा है.
गत 1 वर्ष में प्रदेश में कुल 623 गो-शालाएं पंजीकृत हुई है, जिसमें 596 गौशालाएं मनरेगा योजना के अंतर्गत बनाई गई हैं तथा 27 का संचालन स्वयंसेवी संस्थाएं कर रही हैं. कहा कि गो-शालाओं में बिजली, पानी सहित गोवंश के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों.
मंत्री श्री पटेल ने निर्देश दिए कि सभी गो-वंश की आवश्यक रूप से टैगिंग कराई जाए। गो-शालाओं में रहने वाले गो-वंश और निराश्रित गो-वंश दोनों की टैगिंग अलग-अलग रंग के टैग से करवाई जाए, जिससे उनकी पहचान आसानी से हो सके.
उन्होंने गो-शालाओं की गायों का नियमित रूप भौतिक सत्यापन करने के निर्देश भी विभागीय अधिकारियों को दिए.
मंत्री ने बताया कि इस कार्य के लिए एक विशेष प्रकार का चिप डेवलप किया गया है, जिसके माध्यम से प्रत्येक गो-वंश की पूरी जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी.