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ठंड से गाय-भैंस और भेड़-बकरी को बीमारियों से बचाने के लिए करें ये उपाय तो नहीं होगा आर्थिक नुकसान

CIRB will double the meat production in buffaloes, know what is the research on which work is going on. livestockanimalnews animal Husbandry
बाड़े में बंधी भैंस. livestockanimalnews

नई दिल्ली. मौसम चाहे जो भी हो, जब उसकी शुरुआत होती है तो आम इंसानों के साथ—साथ पशुओं के लिए भी खतरे घंटी बज जाती है. पशुओं के एक्सपर्ट कहते हैं कि बरसात हो या फिर सर्दी—गर्मी, हर एक मौसम पशुओं के लिए बीमारी भी लाता है. ऐसे में ये पशुओं के खानपान, रखरखाव और टीकाकरण में कतई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. यदि ऐसा हुआ तो पशु तुरंत बीमार पड़ जाएंगे. दिक्कत उससे भी बढ़कर है कि कई बार ये बीमारियां पशुओं की जान भी ले लेती हैं. इसके अलावा दुधारू पशुओं का दूध भी कम हो जाता. जिससे पशुपालकों को बड़ा नुकसान होता है. हालांकि पशुपालक चाहें तो किसी भी मौसम की शुरुआत में ही कुछ उपाय करके अपने पशुओं को तमाम परेशानियों से बचा सकते हैं.

गौरतलब है कि केन्द्र और राज्य सरकार भी किसानों को इस तरह के नुकसान से बचाने को लेकर तमाम स्कीम चलाती है. जबकि वक्त-वक्त पर एडवाइजरी भी जारी की जाती है. वहीं सरकारी योजनाओं का फायदा उठाकर किसान पशुपालन में आने वाले जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं. जबकि गांव और कस्बों के पशु अस्पताल में भी ये सभी सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं. इसके अलावा किसानों के लिए अच्छी बात ये है कि कुछ किसान यदि पशुओं का बीमा कराते हैं या फिर उनकी टैगिंग (रजिस्ट्रेशन) कराते हैं तो इसका फायदा उन्हें मिलता है. हालांकि पशुपालकों को ये बेकार, बेवजह का काम लगता है, लेकिन किसी भी मौसमी बीमारी के चलते पशु मरते हैं तो बीमा की रकम ही पशुपालक को राहत देने का काम करती ळै. बता दें कि बिना टैगिंग कराए बीमा की रकम मिलती नहीं है.

पशुपालकों को क्या-क्या करना चाहिए
आमतौर पर अक्टूबर से सर्दी शुरू हो जाती है. इसलिए पशुओं को सर्दी से बचाने का इंतजाम प​हले से कर लेना चाहिए.
सर्दी के मौसम में ज्यादातर भैंस हीट में आ जाती हैं. ऐसा होते ही पशु को गाभिन करा लेना चाहिए.
भैंस को मुर्राह नस्ल के नर से या नजदीकी केन्द्र पर कृत्रिम गर्भाधान कराना चाहिए.
भैंस बच्चा देने के 60-70 दिन बाद दोबारा हीट में ना आए तो फौरन ही जांच कराने की सलाह दी जाती है.
गाय-भैंस को जल्दी हीट में लाने के लिए मिनरल मिक्चर जरूर खिलाना चाहिए.
पशुओं को बाहरी कीड़ों से बचाने के लिए समय-समय पर दवाई का छिड़काव भी कराना चाहिए.
दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
पशुओं को पेट के कीड़ों से बचाने के लिए डॉक्टर की सलाह पर दवाई लेना चाहिए.
ज्यादा हरा चारा लेने के लिए बरसीम की बीएल 10, बीएल 22 और बीएल 42 की बिजाई अक्टू‍बर में करा देना चाहिए.
बरसीम का ज्यादा चारा लेने के लिए सरसों की चाइनीज कैबिज या जई मिलाकर बिजाई करें.
बरसीम के साथ राई मिलाकर बिजाई करने से चारे की पौष्टिकता और उपज दोनों ही बढ़ती हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं कि बरसीम की बिजाई नए खेत में कर रहे हैं तो पहले राइजोबियम कल्चर उपचारित जरूर कर लें.
जई का ज्यादा चारा लेने के लिए ओएस 6, ओएल 9 और कैन्ट की बिजाई अक्टूबर के बीच में कर दें.
बछड़े को बैल बनाने के लिए छह महीने की उम्र पर उसे बधिया करा दें.

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