नई दिल्ली. यदि आप अपने पशुओं को रिजका खिलाते हैं तो इससे पशुओं की पेट से संबंधित समस्याएं दूर होंगी. उनकी पाचन शक्ति बढ़ती है और इससे पशु जो कुछ भी खाता है, उसके शरीर को लगता है. इसलिए रिजका एक बेहतरीन चारा फसल है, पशुपालकों के लिए. रिजका चारे की खासियत ये भी है कि ये एक बहुवर्षीय फसल है, इसलिए इससे गर्मी में भी हरा चारा हासिल होता रहता है. रिजका में काफी गहराई से पानी सोखने की क्षमता होती है. इसका चारा भी बरसीम के समान पौष्टिक होता है लेकिन गरम होता है. इसलिए गाभिन जानवरों को ये नहीं खिलाया जाता है.
पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट ने लाइव स्टॉक एनिमल (Livestock Animal News) को बताया कि वैसे भी इसे अधिक मात्रा में नहीं खिलाना चाहिए. क्योंकि इससे पशुओं में अफारा हो जाता है. घोड़ों के लिए रिजका का चारा विशेष रूप से उपयुक्त होता है.
ज्वार की अपेक्षा इसके चारे में 5 गुना अधिक प्रोटीन और विटामिन एवं कैल्शियम भी भरपूर होता है. इसे साइलेज के लिऐ भी प्रयोग करते हैं. यह दलहनी होने के कारण मृदा उर्वरकता बढ़ाता है.
रिजका की खेती अधिकतर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब व महराष्ट्र में की जाती है. रिजका की फसल को शुष्क जलवायु की जरूरत होती है.
100 सेमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र रिजका की खेती के लिए उपयुक्त हैं. रिजका की फसल में ताप की विभिन्न अवस्थाओं को सहन करने की क्षमता होती है.
अधिक नमी की अवस्था में पौधों की वृद्धि रूक जाती है. दोमट मृदा फसल के लिए उत्तम है, लेकिन बलुई दोमट से चिकनी भूमियों पर भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. रिजका के लिए जल निकास का प्रबन्ध होना आवश्यक है.
उन्नतशील प्रजातियों की बात की जाए तो रिजका फसल उगाने वाले क्षेत्रों के लिए सिरसा टाइप-9 (बहुवर्षीय) और एलएलसी-3 (एक वर्षीय) प्रमुख किस्में हैं जिनसे 80-105 टन तक हरा चारा प्रति हेक्ट. प्रति वर्ष प्राप्त होता है.
एलएलसी-5 व आनंद-3 भी एक वर्षीय किस्में हैं. जिनसे 70-105 टन/हेक्ट. तक हरा चारा प्राप्त होता है.
इनके अलावा सिरसा टाईप-8 (एक वर्षीय) एन.डी.आर.आई. सेलेक्शन-1 (बहुवर्षीय) प्रजातियाँ हैं जो उत्तर भारत के लिए उपयुक्त हैं और 60-80 टन तक हरा चारा प्रति हेक्टेयर देती हैं.