नई दिल्ली. पशुपालन का काम पूरा का पूरा सही मैनेजमेंट पर निर्भर करता है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि जितना बेहतर मैनेजमेंट होता है, उतना ही ज्यादा फायदा पशुपालन के काम में मिलता है. पशुपालन में मैनेजमेंट का मतलब कहीं न कहीं पशुओं की हर जरूरत का ख्याल रखना है. असल में पशुओं की जरूरतें और उनकी देखरेख का तरीका मौसम के लिहाज से बदलता रहता है. गर्मी के मौसम में अलग तरीके से ख्याल रखा जाता है जबकि ठंड के मौसम में अलग तरीके से केयर की जाती है. जैसे अभी जून का महीना है. इस दौरान पशुपालन में पशुओं की देखरेख अलग तरीके से की जाती है.
पशुपालन के जानकार कहते हैं कि जून का महीना ऐसा होता है, जब बारिश भी होती है. ऐसे में इस दौरान कई तरह के हरे चारे की फसल की बुवाई की जाती है. इससे बाद में पशुपालकों को हरा चारा मिलता रहता है. वहीं इस दौरान पशुओं को कुछ बीमारियों का भी खतरा रहता है, इससे भी बचाव करना बेहद ही अहम है. नहीं तो पशु बीमार हो जाते हैं और इससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. वहीं पशुओं के खानपान का भी ख्याल रखा जाता है कि, उन्हें क्या खिलाए जिससे उत्पादन बेहतर हो सके. इस आर्टिकल में हम आपको पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग पशुपालन, सूचना एवं प्रसार कार्यालय पटना की ओर से जारी की गई कुछ अहम जानकारियों के बारे में बताने जा रहे हैं.
जून महीने में क्या करना है, यहां पढ़ें पशुपालक
जून के महीने में एचएस और बी क्यू टीकाकरण कराया जाता है. इससे पहले एक काम करना जरूरी है वो ये है कि 10-15 दिन पहले सभी पशुओं की डीवार्मिंग कर देनी चाहिए. ताकि टीका प्रभावी हो सके.
पशुपालक भाई इसका ख्याल रखें कि पशुओं को 50-60 ग्राम खनिज मिश्रण और 20 ग्राम नमक प्रतिदिन देना शुरू कर दें.
अगर अप्रैल माह में ज्वार बुआई की गई थी तो इस वक्त उस 2-3 बार पानी जरूर देना चाहिए.
बरसात के मौसम में चारे की अच्छी पैदावार लेने के लिये ज्वार और मक्का की बुआई करें.
खरीफ चारा (ज्वार, बाजरा, बोड़ा, दीनानाथ इत्यादि) की बुआई शुरू कर दें.
चूंकि जून का महीना काफी गर्म रहता है, इसलिये पशु के लिये अलग से शेड का निर्माण करना चाहिये. इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा स्वच्छ पानी पिलाना चाहिए.
ज्यादा दूध देने वाले पशुओं को तरल कैल्शियम, फॉस्फोरस 70-100 ग्राम प्रतिदिन पिलाएं.
पशुओं को बाहरी परजीवियों यानि कीड़ों से बचाने के लिये पशु चिकित्सक की सलाह पर दवा का इस्तेमाल नियमित रूप से करें.