Dairy: डेयरी पशुओं की बारिश के मौसम में इस तरह से करें देखभाल

सीता नगर के पास 515 एकड़ जमीन में यह बड़ी गौशाला बनाई जा रही है. यहां बीस हजार गायों को रखने की व्यवस्था होगी. निराश्रित गोवंश की समस्या सभी जिलों में है इसको दूर करने के प्रयास किया जा रहे हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. डेयरी पशुओं से बेहतर उत्पादन लेने के लिए और उनकी सेहत को सही रखने के लिए जरूरी है कि मौसम के बदलाव के साथ ही उनकी देखरेख में भी बदलाव कर दिया जाए. जिस तरह का मौसम हो उनकी देखभाल उसी तरीके से की जाए तभी उनकी सेहत भी अच्छी रहेगी और दूध उत्पादन में भी कमी देखने को नहीं मिलेगी, लेकिन मौसम के लिहाज से उनकी देखभाल ना की गई तो दोनों ही तरह से नुकसान हो सकता है. ऐसे में पशुपालक भाइयों के लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि डेयरी पशुओं की देखभाल बारिश के मौसम में किस तरह की जाए.

एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि बारिश के दिनों में जहां पर पशु रहते हैं, उस जगह को सूखा और हवादार रखना चाहिए. नियमित रूप से सफाई करना चाहिए. ताकि बीमारियों से बचाव किया जा सके और वैक्सीनेशन जरूर करवाना चाहिए. पशुओं को कभी भी गीली घास और चारा नहीं देना चाहिए. जबकि इस बात ख्याल रखें कि हर वक्त में ताजा और साफ पानी उपलब्ध कराना चाहिए. ऐसा करने से पशु का उत्पादन बेहतर होगा.

इन कामों को जरूर करें पशुपालक
एक्सपर्ट कहते हैं कि बारिश के मौसम में डेयरी फार्म को सूखाा रखना बेहद ही अहम काम होता है. जबकि डेयरी फार्म में कुदरती हवा भी आनी चाहिए. एक्सपर्ट के मुताबिक कीचड़ और गंदगी से पशुओं को हर हाल में बचना चाहिए. इसके लिए नियमित रूप से सफाई करना बेहद जरूरी है और कोशिश करें की डेयरी फार्म में कभी भी पानी का भराव ना होने दें. बारिश के मौसम में संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए मुंहपका, खुरपका एफएमडी, गलाघोंटू जैसी बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीनेशन जरूर करना चाहिए.

ज्यादा से ज्यादा सूखा चारा दें
एक्सपर्ट कहते हैं कि बारिश में चारा गीला होने की संभावना बहुत ज्यादा रहती है. चारा ​गीला हो जाने की वजह से उसमें फफूंद लगा सकती है. इसलिए सूखा चारा और दाने की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए. पशुपालक भाइयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चार ताजा और सूखा हो. याद रखें कि पानी पशुओं की अहम जरूरत है. हमेशा ही साफ और ठंडा पानी उपलब्ध कराना चाहिए. बारिश के पानी को कभी भी पशुओं को नहीं पिलाना चाहिए. वहीं पशुओं को कीचड़ से दूर रखने की कोशिश करें. ताकि किसी तरह के संक्रमण से बचाव हो सके. वहीं पशुओं को एंटीसेप्टिक दवाओं से नहलाना चाहिए.

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