Milk Production: 20 फीसद तक घट जाता है पशुओं का दूध उत्पादन, जानें क्यों होता है ऐसा

कम फाइबर के साथ अधिक कंसंट्रेट या अनाज (मक्का) के सेवन से अधिक लैक्टेट और कम वसा दूध होगा.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. आमतौर पर हम समझते हैं कि गर्मी की वजह से पशुओं का दूध उत्पादन कम हो गया है. काफी हद तक ये सही है लेकिन इसके कई और कारण भी है. एक्सपर्ट का कहना है कि गर्म मौसम में कई वजहों के कारण पशुओं की उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है. गर्म मौसम में हवा में नमी के कारण स्किन और सांस नली से वाष्प द्वारा होने वाली हीट के नुकसान पर प्रभाव पड़ता है. इसलिए ज्यादा तापमान पर नमी, दुधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता को काफी हद तक कम कर देती है. गर्मी और नमी में पशु अधिक समय तक खड़े रहते हैं, ताकि वाष्प के जरिए अपने शरीर से ज्यादा से ज्यादा हीट को हवा में छोड़ सकें.

वहीं सूरज की वजह पशुओं के आसपास हीट किरणों के कारण हीट हानि प्रभावित होती है. गर्मियों के मौसम में पशुओं के शेड के अधिक हीट विकिरण निकलते हैं, जिससे इनके दुग्ध उत्पादन में कमी आ जाती है. धूप में पशुओं की त्वचा ऊष्मा सोख लेती है. जिससे इनका शारीरिक तापमान बढ़ जाता है. गर्मी से मुक्ति पाने के लिए पशु जल्दी जल्दी से सांस लेते हैं. पशु कम मात्रा में सूखा चारा खाते हैं और तथा इनके हीट उत्पादन में भी कमी आ जाती है. इस तरह गर्मी झेलने वाले पशुओं में दूध उत्पादन लगभग बीस प्रतिशत तक कम हो सकता है.

हवाओं के कारण कम होता है दूध उत्पादन
हवाओं के कारण पशुओं के शरीर से बाहर निकलने वाली हीट वाष्प के जरिए बाहर आती है. कम तापमान पर हवाओं के चलने से दूध उत्पादकता प्रभावित नहीं होता लेकिन अधिक तापमान पर हवा चलने से पशुओं को लाभ होता है. गर्मियों के मौसम में पशुओं ‌द्वारा पैदा की गई हीट टेंप्रेचर-तनाव का मुख्य कारण होती है. जब टेंप्रेचर नमी सूचकांक 72 (21 डिग्री से. तापमान पर सामान्य नमी) से अधिक होता है तो दुग्ध उत्पादन घटना शुरू हो जाता है. तापमान नमी सूचकांक की हर एक इकाई के बढ़ने पर दूध की मात्रा लगभग 250 ग्राम प्रतिदिन तक कम हो जाती है.

गर्म मौसम में पशुओं की उत्पादन क्षमता पर प्रभाव
अधिक दूध देने वाली संकर गायों में अपेक्षाकृत कम तापमान पर ही श्वास दर बढ़ने लगती है. जबकि कम दूध देने वाले पशुओं में अधिक तापमान सहने की क्षमता पाई जाती है. क्योंकि ज्यादा दूध उत्पादन करने वाली गायों में चयापचय दर एवं हीट उत्पादन भी अधिक होती है. इसी प्रकार सूखे पदार्थों की कम खपत भी दूध उत्पादन में कमी लाती है. यदि सावधानी के साथ डेयरी पशुपालन प्रबंधन किया जाए तो अधिक दूध देने वाले पशुओं को उच्चतम दुग्ध उत्पादन स्तर पर भी गर्मी के कारण होने वाले तनाव से निजात दिलाई जा सकती है. खास तरह के फव्वारे तथा पंखे चलाकर पशुओं को गर्मी से बचाया जा सकता है.

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