Dairy: पशुओं की अच्छी नस्ल के लिए मेरठ का केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान करता है ये काम

Central Cattle Research Institute, Meerut,

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. गाय को भारतीय संस्कृति में पूज्यनीय माना जाता है. गांवों में तो पशुओं के स्वास्थ्य और उनकी संख्या से किसानों की संपन्नता का मूल्यांकन आंका जाता रहा है. हमारा देश कुल दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में पिछले एक दशक से पहले स्थान पर रहा है. 2012 के 19वीं पशु गणना के अनुसार गोवंश की जनसंख्या करीब 19 करोड़ के पास पहुंच गई है. इसमें से अधिकतर गोवंश पशु अल्प उत्पादक और अवर्णित नस्ल के माने जाते हैं. दिल्ली से महज 65 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर मेरठ में स्थित है केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, जहां पर गायों को लेकर कई जरूर कार्य किए जा रहे हैं.

ताकि किसानों को मिल सके लाभ
गोवंश के संदर्भ में किसानों को अधिक से अधिक फायदा देने का काम संस्थान करता है. उसमें हेल्थ, खानपान, अनुवांशिक सुधार और किसानों को अच्छा वीर्य उपलब्ध कराने का काम भी संस्थान करता चला आ रहा है. यहां की डेयरी फार्म में 26 हजार गायें हैं. वहीं संस्थान द्वारा विभिन्न विकास कार्यक्रमों के माध्यम से देश में गोवंशो की उत्पादकता और लाभदायकता में वृद्धि करने के लिए गौपशु प्रजनन पोषण प्रबंधन और अनुसंधान के कार्य के लिए किया जा रहा है. स्वदेशी नस्लों का संरक्षण और आनुवंशिक सुधार भी यहां होता है. जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष में गोवंश में गर्मी सहन करने वाले जीनों की पहचान तथा पशु धन पर हो रहे प्रभाव पर अनुसंधान किया जा रहा है.

दूध उत्पादन बढ़ाने पर जोर
गायों की संकर प्रजाति का विकास करने के लिए फ्रीजवाल परियोजना के तहत विभिन्न 37 फार्मो में फ्रीजवालों के मादा और बछड़ियां उपलब्ध हैं. इस परियोजना के मुख्य उद्देश्य होल्सटीन फ्रिजियान और साहीवाल को उद्देश्य बनाकर फ्रीजवालों विकसित करना है, जो परिवर्तन के साथ साथ 4000 किलोग्राम या उसे अधिक दूध का उत्पादन कर सकें. सांड पालन की इकाई पर भविष्य में अच्छे सांड बनाने के उद्देश्य से देश के विभिन्न फार्मो से संबंधित संगम से उपलब्ध बछड़े भेजे गए. संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक सुशील कुमार ने बताया कि सांड पालन इकाई में संस्थान उनके वीर्य प्राप्त करके उन्हें देश के विभिन्न क्षेत्रों में किसानों को और संस्थाओं को दिया जाता है. ताकि अच्छी नस्ल के पशुओं को पैदा कराया जा सके और उससे दूध का उत्पादन किया जा सके. प्रयोगशाला आइसो 9001 2000 से प्रमाणित की गई है. वीर्य संग्रह के मामले में सस्थान अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरता है.

पशुओं के रहन-सहन की है बेहतरीन व्यवस्था
पशु को जहां रखा जाता है यानि उनके आवास को भी साफ सुथरा रखना होता है. इसमें प्रकाश की विशेषता होनी चाहिए. हवा के आने जाने का प्रबंध होना चाहिए. फर्श या तो कंक्रीट का होना चाहिए या फिर ईंट का होना चाहिए. आवास में जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए. इसके साथ ही आवास हवादार होना चाहिए. इस संस्थान में इन सारी सुविधाओं पर ध्यान दिया जाता है. केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान में पशुओं के पोषण को भी लेकर भी पूरी तरह से गंभीर है. वहीं पशुओं के लिए खान-पान प्रबंध जरूरी है. इसको देखते हुए उनके आहार में हरा चारा सूखा चारा और दाना युक्त संतुलित आहार दिया जाता है. वहीं संस्थान किसानों के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक योजनाएं चल रहा है. तकनीकी ज्ञान, उत्तम सांड कमी पूरी करना और किसानों को गुणवत्ता युक्त उत्तम वीर्य उपलब्ध करवाना.

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