Dairy: देश को दूध में नंबर वन बनाकर बनी डेयरी की महारानी, जानें नदी भैंस के बारे में सब कुछ

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Livestockanimalnews

नई दिल्ली. दुधारू यानि दूध देने वाले पशु का नाम लेते ही सबसे पहला जो नाम आता है वो भैंस का है. भैंस हमारा अपना पशु है. भैंस के साथ इंसानों का एक अपनापन जुड़ा हुआ है. दिन की शुरुआत चाय से करने के साथ रात को दूध पीने तक भैंस हमारी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है. देश के कुल दूध उत्पादन 230.58 मिलियन टन में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी भैंस की 54 फीसद है. लगातार देश में दूध उत्पाूदन बढ़ रहा है. बड़े दुधारू पशुओं की बात करें तो उसमे भैंसों की संख्या 11 करोड़ के आसपास है. ज्यादा दूध देने और दूध की क्वालिटी के मामले में मुर्राह नस्ल की भैंस सबसे अव्वल मानी जाती है. देश में प्योर ब्रीड वाली भैंसों की कुल संख्या में मुर्राह की संख्या 4.70 करोड़ यानि 43 फीसद है.

भारत के अलावा कई और देशों में भी पाली जाती है नदी भैंस
अगर डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो भैंसे दो तरह की होती हैं. एक जिन्हें दलदली कहा जाता है और दूसरी नदी भैंस. खासतौर पर भारत, पाकिस्तान, बुल्गारिया, हंगरी, तुर्की, इटली और मिस्र में नदी भैंस आम है. ब्राज़ील में भी नदी भैंस पाई जाती हैं. नदी भैंसें शारीरिक रूप से बड़ी होती हैं. सींग मुड़े हुए होते हैं. जैसा की इन्हें नदी भैंस कहा जाता है तो ये तालाब और नदी के साफ पानी में लोटना ज्यादा पसंद करती हैं. नदी भैंसों में सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल की बात करें तो सबसे ऊपर मुर्राह, नीली-रावी, मेहसाना, सुरती, बानी, भदावरी और जाफराबादी का आता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में रजिस्टर्ड भैंसों की नस्ल 20 हैं.

इन देशों में संस्कृति का हिस्सा है भैंस का दूध पीना
एक्सपर्ट का मानना है कि भारत, पाकिस्तान, इटली और मिस्र में भैंस का दूध पीना कल्चर का एक हिस्सा है. और खास बात ये कि भैंसों पर जितनी रिसर्च इन देशों में हुई है या हो रही है उतनी दुनिया के किसी भी देश में अब तक नहीं हुई है. हरियाणा के हिसार में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ बफैलो रिसर्च लगातार भैंस पर रिसर्च करता रहता है. साल 2022-23 में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और आंध्रा प्रदेश में कुल दूध उत्पादन का 53 फीसद दूध उत्पादन हुआ था. हमारे देश में दूसरे देशों के मुकाबले दुधारू पशुओं की संख्या कहीं ज्यादा है. लेकिन प्रति पशु दूध उत्पादन के मामले में हमारा देश विश्वस्तर पर काफी पीछे है.

बफैलो मीट एक्सपोर्ट में चौथे नंबर पर है भारत
जिस कोरोना-लॉकडाउन ने दुनिया के बाजारों को हिलाकर रख दिया. बड़ी-बड़ी कंपनियों पर ताला लग गया. उस दौर में भी भारत के बोनलेस मीट एक्स‍पोर्ट पर मामूली असर ही देखने को मिला था. आज दुनिया के 70 से ज्या दा देशों में भारत से भैंस का बोनलेस मीट एक्सपोर्ट किया जाता है. मौका मिलते ही हमारा पड़ोसी और दुश्मन मुल्क पाकिस्तान भी भैंस का मीट चखने से पीछे नहीं रहता है. कोरोना के बावजूद बीते तीन साल में मीट एक्सपोर्ट में 90 हजार टन से ज्यादा का इजाफा हुआ है. भारत का बफैलो मीट एक्सपोर्ट में चौथा नंबर है. जबकि सभी तरह के मीट उत्पादन में भारत का दुनिया में आठवां स्थान है. विश्व के कुल मीट एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसद से ज्यादा की है. केन्द्र सरकार की नीतियों ने मीट एक्सपोर्ट को और रफ्तार दी है. साउथ-ईस्ट और वेस्ट एशियाई देश भारतीय मीट के बड़े खरीदारों में शामिल हैं. मलेशिया, वियतनाम, इराक, इजिप्ट और इंडोनेशिया कुल एक्सपोर्ट के 50 फीसद से ज्यादा के खरीदार हैं. वियतनाम भारतीय मीट का बड़ा ट्रांजिट पाइंट है. बेशक चीन बफैलो मीट एक्सपोर्ट में पहले नंबर पर है. लेकिन मीट की कटिंग और उसके स्वाद के चलते भारत का बोनलेस बफैलो मीट दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में पंसद किया जाता है. बीते साल देश में मीट के लिए 1.36 करोड़ भैंसे काटी गईं थी. जिसके चलते 17 लाख टन से ज्यादा मीट का उत्पादन हुआ था. साल 2022-23 के दौरान यूपी में सबसे 7 लाख टन भैंस के मीट का उत्पादन हुआ था. दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र में 2.18 लाख टन और तीसर नंबर पर तेलंगाना में 1.56 लाख टन मीट का उत्पादन हुआ था.

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