नई दिल्ली. देश में पशुपालन भारत की अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका में है. स्थानीय एवं राष्ट्रीय खाद्य आपूर्ति को बनाए रखने, उद्यमिता, पैसा कमाने, गरीबी दूर करने और रोजगार पैदा करने अवसर प्रदान करने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. हालांकि इस काम में चैलेंज भी बहुत है. जैसे बीमारी और कम उत्पादन आदि. बीमारियों में संक्रामक रोगों के लगातार बढ़ते खतरे से निपटने के लिए पशु रोगों से बचाव के लिए काफी मेहनत करने की जरूरत है, जो संक्रामक रोग कारकों को संक्रमित पशुओं से संवेदनशील पशुओं में फैलने से रोकती है.
संक्रमित पशुओं को किसी ऐसे पशु झुंड, क्षेत्र या देश में प्रवेश करने से रोकती है. जहां संक्रमण अभी तक नहीं फैला है. आपको इस आर्टिक में पशुपालन से जुड़े कुछ अहम सवाल और उसके जवाब बताएंगे, ताकि पशुपालन में आसानी हो सके. हालांकि इस आर्टिकल में हम आपको पशुओं के क्वारेंटाइन में रखने की रणनीति के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं ताकि आप खुद को किसी बड़े नुकसान से बचा सकें.
प्रश्न: डेयरी क्वारेंटाइन शेड में किन खास प्रबंधन की जरूरत होती है?
उत्तर: बता दें कि जब कहीं से पशु बाड़े में लाएं तो पशुओं को 30 दिनों के लिए क्वारेंटाइन किया जाना चाहिए. जब 2 माह से अधिक आयु के पशुओं को ऐसे समूह से लिया जाता है जिसके रोग की स्थिति की जानकारी उपलब्ध ना हो, तो उन्हें कम से कम 60 दिनों के लिए, क्वारेंटाइन में अलग रखा जाना चाहिए. 30 दिनों के गैप में ब्रूसेला, तपेदिक और पैरातपेदिक की जांच के लिए दो परीक्षण अनिवार्य है. क्वारेंटाइन शेड़ में हर कमरे, पेन के लिए अलग से पानी के कुंड तथा चारे की नांद होनी चाहिए. यदि पशुओं को समूह में रखा जाता है, तो प्रत्येक समूह में अधिकतम 5 पशुओं को पाले. 3 माह से कम आयु के बछड़ों को 3 माह का होने तक एक प्राथमिक क्वारेंटाइन इकाई में अलगाव शेड में रखा जाना चाहिए. मादा पर परीक्षण किये जाने से पहले ही उक्त बछड़ों को प्राथमिक क्वारेंटाइन में स्थान्तरित किया जा सकता है.
क्वारेंटाइन से हटा देना चाहिए.
मादा अगर किसी जांच में संक्रमित पायी जाती है तो बछड़े को प्राथमिक क्वारेंटाइन से हटा देना चाहिए. प्राथमिक संगरोध में सभी रोग के परीक्षण अन्तिम माह के दौरान (25-3 महीने की आयु में) किए जाते हैं. बछड़े जो जांच में रोग मुक्त मिलते हैं उन्हें ही प्राथमिक संगरोध से संगरोध में स्थान्तरित किया जाता है. पशुओं का टीकाकरण संगरोध अवधि के दौरान सुनिश्चित किया जाना चाहिए जिससे कि पशु आपके फार्म के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल हो जाये.