नई दिल्ली. जिस तरह से आम इंसानों पर मौसम का प्रभाव पड़ता है. ठीक उसी तरह से जानवरों पर भी असर पड़ता है. खासकर डेयरी जानवरों पर. अगर आप भी डेयरी फार्मर हैं तो पशुओं की सेहत का ख्याल जरूर रखें. पशुओं का मौसम के लिहाज से ध्यान रखें. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग (Department of Animal and Fisheries Resources) की मानें तो सितम्बर माह में वातावरण के तापमान में उतार-चढ़ाव देखा जाता है. मौसम के इसी उतार-चढ़ाव के कारण दुष्प्रभावों से पशुओं को बचाने के उपायों पर ध्यान दें.
अगर आप यहां बताई जाने वाली बातों पर ध्यान देते हैं तो फिर पशुओं को मौसम की वजह से होने वाली परेशानियों से बचा सकते हैं.
क्या करना है जाने यहां
इस माह में पशुओं को दिन के समय धूप से बचाने तथा पीने के पानी की समुचित व्यवस्था करें.
रात के समय ठंड से बचाने के लिए छप्पर, प्लास्टिक आदि के नीचे पशुओं को बांध कर रखें.
अच्छा मानसून होने पर पशुशाला में जल भराव समस्या व आद्रता जनित रोगों के संक्रमण की प्रबल सम्भावना बनी रहती है.
इसलिए वर्षा जल निकासी का समुचित प्रबंध करें. पशुओं को यथासंभव सूखे व ऊंचे स्थान पर रखें.
चारागाह बाड़े की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. समय-समय पर फर्श व दीवारों पर चूने के घोल का छिड़काव करें.
इस माह में गलाघोंटू (एच.एस.) और लंगड़ी बुखार (बी.क्यू.) के फैलने की संभावना भी अत्यधिक रहती है.
इसलिए समय रहते इनके टीके पशुओं में अवश्य लगवा लें अथवा रोग होने पर पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें.
हरे चारे की अधिक उपलब्धता के कारण पशुओं में हरे चारे के अधिक सेवन से संबंधित समस्याओं से बचने के लिए पशुओं को बार-बार खुले में चरने के लिए नहीं भेजें.
इससे संक्रमण होने की संभावना बढ़ती है. हरे चारे और दाने के साथ लवण – मिश्रण दें. इससे पशुओं को फायदा होता है.
निष्कर्ष
पशुओं को मौसम की मार से बचाने के लिए इन बातों का ध्यान देना जरूरी होता है, तभी पशुओं की सेहत सही रहेगी. जब सेहत सही रहेगी तो उत्पादन बेहतर मिलेगा.