नई दिल्ली. डेयरी पशुओं के लिए सहजन एक बेहतरीन चारा फसल है. ये एक बहु-उपयोगी पेड़, झाड़ी है जो गर्म एवं नमी वाले जलवायु क्षेत्रों में उगाया जाता है और आमतौर पर ड्रमस्टिक, सरगवो, मोरिंगा आदि के नाम से जाना जाता है. इस पेड़ की पत्तियां, फल और बीज मानव आहार, पशुओं के चारे, दवाईयों, पानी को साफ करने और जैविक कीटनाशक इत्यादि के रूप में उपयोग होता है. ये पेड़ ज्यादा जैविक भार उत्पन्न करने के लिए जाना जाता है और भविष्य में दुधारु पशुओं के लिए चारे के सहायक वृक्ष के रूप में उपयोग किया जा सकता है.
डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) का कहना है कि ये पेड़ पशुओं के लिए अच्छा चारा उपलब्ध कराता है. इसलिए डेयरी किसानों को इसे लगाना चाहिए.
कृषि का तरीका क्या है
एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करने के बाद 3-4 बार हैरो चलाएं.
बुवाई 30 सेंमी. दूर स्थित कतारों में पौधों के मध्य 10 सेमी. की दूरी रखकर करें.
90-100 किग्रा. प्रति हैक्टेयर की दर से बीज इस्तेमाल करना चाहिए.
बुवाई से कम से कम 15-20 दिन पहले 5-10 टन प्रति हैक्टेयर की दर से गोबर की खाद डालें। रासायनिक उर्वरक नाइट्रोजन, फोस्फोरस और पोटाश 150-40-40 किग्रा. प्रति हैक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें.
30 किलो ग्राम नाइट्रोजन पूरे फोस्फोरस और पोटाश के साथ आधारीय मात्रा के रूप में डालें. बाकि बची नत्रजन की मात्रा प्रत्येक कटाई के एक सप्ताह के बाद डालें.
फसल को सही ढंग से स्थापित करने के लिए पहली कटाई 4 माह की अवस्था पर करनी चाहिए और बाकि की कटाई 2 माह के अंतर पर करनी चाहिए.
पौधों की कटाई जमीन से 10-15 सेमी. ऊपर से की जाती है.
आवश्यकतानुसार 15 दिन के अंतर पर सिंचाई की जाती है, एक बार स्थापित होने के बाद यह वृक्ष कम गहराई वाली कम उपजाऊ भूमि पर भी जीवित रह सकता है.
यह वृक्ष बीज और पौध दोनों के द्वारा उगाया जा सकता है, बीज द्वारा उगाये गए पौधे धीमी गति से बढ़ते हैं परंतु इनमें जड़े गहरी होती हैं.
प्रति वर्ष पांच कटाई करने पर 100-120 टन प्रति हैक्टेयर हरे चारे की उपज प्राप्त होती है.