Dairy: दूध देने वाले पशुओं की संख्या बढ़ाने को सरकार उठा रही ये बड़े कदम

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नई दिल्ली. देश में दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. दुधारू पशुओं और पशुपालन क्षेत्र के विकास के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मदद के लिए पशुपालन और डेयरी विभाग राज्य सरकारों के माध्यम से कई काम कर रही है. सरकार राष्ट्रीय गोकुल मिशन को देशी नस्लों के विकास और संरक्षण, गायों की प्रजाति (गोजातीय) आबादी के आनुवंशिक उन्नयन और गोजातीय दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए लागू किया गया है.

इस योजना के तहत दुधारू पशुओं के विकास के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार 50 फीसद से कम कृत्रिम गर्भाधान कवरेज वाले जिलों में कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ाने के लिए राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम लागू किया जा रहा है. देशी नस्लों के बैलों सहित उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले बैलों की संख्या बढ़ाने के लिए संतान परीक्षण और वंशावली चयन लागू किया जा रहा है.

क्या-क्या काम होगा
गोजातीय आबादी के तेजी से आनुवंशिक उन्नयन के लिए आईवीएफ तकनीक और लिंग आधारित सीमन का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम लागू किया जा रहा ह.

मवेशियों और भैंसों के आनुवंशिक सुधार में तेजी लाने के लिए जीनोम संबंधी चयन लागू किया जा रहा है.

सरकार की तरफ से राष्ट्रीय पशुधन मिशन, मुर्गी पालन, भेड़, बकरी, सूअर पालन, चारा और चारे के विकास में उद्यमिता विकास और नस्ल सुधार पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के लिए कार्यान्वित किया जा रहा है.

जिसके तहत उद्यमिता विकास के लिए व्यक्तियों, एफपीओ, स्वयं सहायता समूहों, धारा 8 कंपनियों और नस्ल सुधार अवसंरचना के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है.

इस योजना में 21.02.2024 को संशोधन किया गया है और पशुधन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए की गई गतिविधियों में घोड़े, गधे, खच्चर और ऊंट को शामिल किया गया है.

पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत पशु रोगों के लिए इससे बचाने वाली वैक्सीन, पशु चिकित्सा सेवाओं का क्षमता निर्माण, रोग निगरानी और पशु चिकित्सा अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए किया जा रहा है.

इसके अलावा, इस योजना के अंतर्गत पशु औषधि का एक नया घटक जोड़ा गया है जिससे प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (पीएम-केएसके) और सहकारी समितियों के माध्यम से देश भर में सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके.

यह जेनेरिक दवाओं के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा जो सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली होंगी.

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