नई दिल्ली. राजस्थान के जैसलमेर स्थित चौहटन में राजकीय पशु चिकित्सालय ईशरोल में पशुपालकों को खनिज मिश्रण की उपयोगिता पर जानकारी दी गई. एक्सपर्ट ने इस दौरान बताया कि पशु पोषण में मिनरल मिक्सर की भूमिका अहम है. क्योंकि देश में पशुपालन छोटे-बड़े स्तर पर सबसे बड़ा व्यवसाय है. दूध उत्पादन चार बातों पर निर्भर करता है. पशु की नस्ल, प्रबंधन, पोषण और आवास व्यवस्था पर, जबकि इनमें से पोषण सबसे जरूरी है. एक्सपर्ट कहा कि दुधारू पशुओं की उत्पादकता और विकास दर बढ़ाने में संतुलित आहार जरूरी है. पशु के कुल खर्च का 70 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ आहार पर होता है. चारे में सभी जरूरी खनिज नहीं होते. खनिजों की मात्रा क्षेत्र के अनुसार बदलती है। इसलिए हर क्षेत्र के लिए अलग खनिज मिश्रण बनाना जरूरी है.
खनिज तत्व हड्डियों और दांतों को मजबूत मजबूत बनाते बनाते हैं. शरीर में प्रोटीन और वसा जैसे यौगिकों का हिस्सा होते हैं. एंजाइमों की क्रियाशीलता में मदद करते हैं. खून और शरीर के द्रवों में घुलनशील लवणों के रूप में कई कार्य करते हैं. ये अम्ल-क्षार संतुलन बनाए रखते हैं. पेशियों और तंत्रिकाओं की उत्तेजना में भी सहायक होते हैं.
15 तरह के खनिज तत्वों की होती है जरूरत
गाय-भैंस जैसे दुधारू पशुओं को 15 तरह के खनिज तत्वों की जरूरत होती है. इनमें से कुछ की मात्रा ज्यादा चाहिए, जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, क्लोरीन और सल्फर चाहिए, जैसे लोह्य, मैग्नीज, कॉपर, मोलिब्डेनम, जिंक, कोबाल्ट, आयोडीन और सेलेनियम. पशु शरीर में कुल भार का 4 प्रतिशत हिस्सा खनिज तत्व होते हैं. अगर इसकी पूर्ति नहीं होगी तो फिर पशु अपनी क्षमता के मुताबिक दूध का उत्पादन नहीं कर पाएंगे. अगर ऐसा होता है तो फिर डेयरी फार्मिंग में अच्छा मुनाफा कमाने का सपना, सपना ही रह जाएगा. इसलिए जरूरी है कि डेयरी फार्मिंग के तहत पाले जा रहे पशुओं की जरूरतों को पूरा किया जाए.
बछड़ों की ग्रोथ तेजी से होती है
इस दौरान एक्सपर्ट ने बताया कि मिनरल मिक्सचर से बछड़ों की विकास दर बढ़ती है. वे जल्दी परिपक्व होते हैं. नर-मादा दोनों की प्रजनन क्षमता बढ़ती है. प्रजनन अंतराल कम होता है. भोजन उपयोग क्षमता बढ़ती है. दूध उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है. क्षेत्र विशेष के लिए यह आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है. खनिज मिश्रण की कमी से पशु स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. बछड़ों की वृद्धि रुकती है। दूध कम होता है। परिपक्वता देर से आती है. प्रजनन क्षमता घटती है.