नई दिल्ली. अगर आप डेयरी फार्मिंग का बिजनेस कर रहे हैं या फिर करने वाले हैं तो आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि डेयरी पशुओं की पहचान क्या है. अगर इसकी पहचान नहीं आएगी तो फिर आपको नुकसान हो सकता है. दुधारू पशुओं की पहचान का मतलब है कि ज्यादा दूध देने वाला पशु. जो पशु ज्यादा दूध देता है वो डेयरी फार्मिंग के लिए फायदेमंद होता है. क्योंकि इससे फिर अच्छी कमाई करने का मौका डेयरी फार्मर्स को मिलता है. ये जान लें कि ज्यादा दूध देने वाले पशुओं की कुछ पहचान है. इस आर्टिकल में हम उसी के बारे में बात करेंगे. जो बेहद अहम है.
दुधारू पशुओं की पहचान की बात की जाए तो तिकोने आकार की गाय अधिक दुधारू होती है. ऐसी गाय की पहचान के लिए उसके सामने खड़े हो जाएं. इससे गाय का अगला हिस्सा पतला और पिछला हिस्सा चौड़ा दिखाई देगा. शरीर की तुलना में गाय के पैर एवं मुंह-माथे के बाल छोटे होने चाहिए. दुधारू पशु की चमड़ी चिकनी, पतली और चमकदार होनी चाहिए. आंखे चमकली, स्पष्ट और दोष रहित होनी चाहिए.
थन विकासित होने चाहिए
थन पूरी तरह विकसित और बड़ा होना चाहिए. थनों और अयन पर पाई जानी वाली दुग्ध शिराएं जितनी उभरी और टेड़ी-मेडी होंगी पशु उतना ही अधिक दुधारू होगा. दूध दोहन के उपरांतथन को पूरी तरह से सिकुड़ जाना चाहिए. चारों थनों का आकार एवं आपसी दूरी समान होनी चाहिए. गाय भैंस के पेट पर पाई जाने वाली दूध शिरा जितनी स्पष्ट, मोटी और उभरी हुई होगी पशु उतना ही अधिक दूध देने वाला होगा. दुधारू पशु को खरीदते समय हमेशा दूसरे अथवा तीसरे ब्यांत की गाय भैंस को ही प्राथमिकता देनी चाहिए. क्योंकि इस दौरान दुधारू पशु अपनी पूरी क्षमता के अनुरूप खुलकर दूध देने लगते हैं और यह क्रम लगभग सातवें ब्यात तक चलता है. इसके पहले अथवा बाद में दुधारू पशु के दूध देने की क्षमता कम रहती है.
उम्र की जानकारी भी है जरूरी
दुधारू पशु का चयन करते समय उसकी सही आयु का पता लगाना आवश्यक होता है. पशु की सही आयु का पता लगाने के ली उसके दांतों को देखा जाता है. मुंह की निचली पंक्ति में स्थाई दांर्ता के चार जोड़े होते हैं. ये सभी जोड़े एकसाथ नहीं निकलते हैं. दांत का पहला जोडा पौने दो साल की उम्र में, दूसरा जोड़ा ढाई साल की उम्र में, तीसरा जोडा तीन साल के अंत में और चौथा जोड़ा चौथे साल के अंत की उम्र में निकलता है. इस प्रकार से दांतों को देखकर नई और पुरानी गाय/भैंस की सटीक पहचान की जा सकती है. औसतन एक गाय भैंस 20-22 वर्षों तक जीवित रहती है. गाय या भैंस की उत्पादकता उसकी उम्र के साथ-साथ घटती चली जाती है. दुधारू पशु अपने जीवन के यौवन और मध्यकाल में अच्छा दुग्ध उत्पादन करता है. इसलिए दुधारू पशु का चयन करते समय उसकी उम्र की सही जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है.