Animal Fodder: पशुपालन में फूड सिक्योरिटी पर मंथन कर रहे हैं एक्सपर्ट, जानें चारा कमी से क्या पड़ रहा है असर

चारे की फसल उगाने का एक खास समय होता है, जोकि अलग-अलग चारे के लिए अलग-अलग है.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. पशुओं के लिए चारे की कमी एक बड़ी परेशानी बन रही है. चारे की कमी की वजह से डेयरी सेक्टर ही नहीं पोल्ट्री सेक्टर में भी इसका बड़ा असर दिखाई दे रहा है. चारा महंगा होने की वजह से दूध के दाम भी बढ़ रहे हैं. दूध के दाम बढ़ जाने की वजह से घरेलू एक्सपोर्ट बाजार पर इसका सीधा असर दिखाई दे रहा है. वहीं केंद्र सरकार ने पशुपालन में फूड सिक्योरिटी को लेकर चार बैंक बनाने की बात कही है लेकिन फूड पशुधन की फूड सिक्योरिटी का रोड में कैसा हो इसको सही रूप देने के लिए देश-विदेश से एक्सपर्ट लुधियाना में इकट्ठा हो रहे हैं जहां इसको लेकर चर्चा हो रही है.

गुरु अंगद देव वेटरनरी एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी गढ़वा स्कूल लुधियाना में वाइस चांसलर का सम्मेलन 17 से 19 मार्च तक आयोजित किया गया है. 3 दिन चलने वाले सम्मेलन में भारतीय कृषि बागवानी, पशुपालन, मछली पालन से जुड़े 6 खास सब्जेक्ट पर फूड सिक्योरिटी जलवायु परिवर्तन और किसान कल्याण के लिए रोडमैप तैयार करने पर चर्चा होगी. कहा जा रहा है कि भारतीय कृषि विश्वविद्यालय के बैनर तले ये यह सम्मेलन आयोजित किया गया है.

किन मसलों पर होगी चर्चा
गडवासु के वाइस चांसलर डॉ. इंद्रजीत सिंह का कहना है कि सम्मेलन में पेशेवरों और नीति नियोजकों की कृषि और पशुधन क्षेत्र से जुड़े किसानों के बारे में चर्चा करने के लिए बुलाया गया है. ये एक्सपर्ट अपनी अपनी राय रखेंगे. सम्मेलन में खेती और पशुपालन से जुड़े नीति निर्माता और किसानों से जुड़े एक्सपर्ट को उनकी परेशानियों का रास्ता खोजने के लिए प्लेटफार्म मुहैया कराने पर चर्चा होगी. बता दें कि इस सम्मेलन में चावल क्रांति के जनक और विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता पदम श्री डॉ. जीएस खुश और ईयू के अध्यक्ष और बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय कुलपति डॉक्टर रामनरेश्वर सिंह भी रोडमैप पर अपनी बात रखेंगे.

चारा उद्योग एक बड़ा अवसर है
गौरतलब है कि कृषि विज्ञान भवन में चारा विषय पर आयोजित कार्यक्रम में पशुपालन और डेयरी सचिव अलका उपाध्याय का कहना था कि पशुओं के लिए चारे पर जोर देते हुए चारे की खेती क्षेत्र को बढ़ाने की जरूरत है. चारे की लागत और उत्पादन को बढ़ाना वक्त की जरूरत है. चारागाह भूमि की खेती के लिए निम्नलिखित वन भूमि और रिसर्च के माध्यम से नई-नहीं किस्म के चार बीज उत्पादन किया जाए. उन्होंने चारा उद्योग को उभरता हुआ व्यावसायिक अवसर भी बताया था.

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