नई दिल्ली. देश के लगभग हर राज्य में दूध में मिलावट हो रही है. यहां तक की सेंथेटिक दूध बेचा जा रहा है. इसको लेकर कार्रवाई भी हो रही है लेकिन फिर भी नकली दूध बेचने वालों की संख्या में कमी नहीं हो रही है. इसके दो बड़े नुकसान हैं. पहला नुकसान तो ये है कि लोगों की सेहत से साथ खिलवाड़ हो रहा है. जबकि दूसरा बड़ा नुकसान ये है कि इससे किसानों को दूध का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. संसद में सांसद मदन राठौड़ ने इसी को लेकर सवाल पूछा था कि नकली दूध का कारोबार करने वालों के खिलाफ सरकार क्या कार्रवाई का रही है. जिसका राज्यवार डाटा सरकार की ओर से दिया गया है.
सांसद मदन राठौड़ ने सवाल किया था कि क्या यह सच है कि मिलावटी दूध और मिलावटी दुग्ध उत्पादों की बिक्री को रोकने के लिए सख्त सजा का कानूनी प्रावधान है. यदि हां, तो विगत तीन वर्षों के दौरान देश में ऐसे कितने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की गई, इसके संबंध में राज्य-वार ब्यौरा क्या है?
मंत्री ने बताया कि होती है कार्रवाई
इसके जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की स्थापना वर्ष 2008 में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के अंतर्गत की गई थी. जिसका मुख्य उद्देश्य खाने वाले प्रोडक्ट के लिए विज्ञान आधारित मानक निर्धारित करना और इंसानों इस्तेमाल के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उनके मैनुफैक्चरिंग, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करना था है. उन्होंने कहा कि एफएसएस अधिनियम में घटिया भोजन, गलत ब्रांड वाले भोजन और असुरक्षित भोजन के मामले में दंडात्मक कार्रवाई के लिए प्रावधान शामिल हैं. घटिया भोजन और गलत ब्रांड वाले भोजन के मामले में, न्यायिक कार्रवाई शुरू की जाती है, जबकि अनसेफ भोजन के लिए, दोषी फूड व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
किस राज्य में हुई कितनी कार्रवाई
उन्होंने आगे बताया कि एफएसएसएआई अपने क्षेत्रीय कार्यालयों और राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों के माध्यम से दूध और दूध उत्पादों सहित खाद्य उत्पादों की नियमित निगरानी, निरीक्षण और नमूना एकत्र करता है. ऐसे मामलों में जहां खाद्य नमूने अननुरूप पाए जाते हैं, खाद्य सुरक्षा और मानक (एफएसएस) अधिनियम, नियमों और विनियमों के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई करता है. मंत्री ने बताया कि संबंधित विभाग ने 2022-23 के दौरान आंध्र प्रदेश में 6319 बिहार में 2806 छत्तीसगढ़ में 1373 दिल्ली में 3412 गुजरात में 15841 हरियाणा में 3485 हिमाचल प्रदेश में 16 17 जम्मू कश्मीर में 9057 केरल में 10792 मध्य प्रदेश में 13998 महाराष्ट्र में 5087 राजस्थान में 18264 उत्तर प्रदेश में 27 750 उत्तराखंड में 1731 और पश्चिम बंगाल में 5948 नमूने लिए थे.