Poultry Farming: राजश्री नस्ल की मुर्गियों को खिलाएं ये फीड, ज्यादा अच्छे प्रोडक्शन के लिए ये काम भी करें

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प्रतीकात्मक

नई दिल्ली. देश ने करीब 30 सालों में पोल्ट्री प्रोडक्ट के प्रोडक्शन में बेहतरीन ग्रोथ हासिल की है. जिसकी वजह से भारत ने विश्व में ब्रॉयलर चिकन उत्पादन में झंडा गाड़ दिया है और दुनिया में तीसरा स्थान हासिल कर लिया है. वहीं अंडा उत्पादन के मामले में चौथा और स्थान पर है. आज के दौरान में पोल्ट्री फार्मिंग शहरी और शहर के आसपास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर की जा रही है. हालांकि, संगठित पोल्ट्री फार्मिंग, गरीबी रेखा के नीचे वाले ग्रामीण परिवारों के बीच आजीविका और पोषण सुरक्षा प्रदान करने में ज्यादा सफल नहीं रहे हैं लेकिन अगर मुक्त क्षेत्र यानि घर-आंगन में पोल्ट्री फार्मिंग की जाए इसमें कामयाबी मिल सकती है.

एक्सपर्ट का कहना है कि इसके लिए राजश्री पक्षी का पाला जा सकता है. हालांकि इस मुर्गी को पालने और बेहतर प्रोडक्शन हासिल करने के लिए उनकी फीड पर ध्यान देने की जरूरत होती है. एक्सपर्ट के मुताबिक अगर कीट आबादी या बिखरे हुए अनाज या रसोई वेस्ट के साथ पर्याप्त वनस्पति उपलब्ध हों तब राजश्री पक्षियों को एक्सट्रा फीड की आवश्यकता नहीं होती है. जब अधिक पक्षियों को रखा जाएं और उनके हिसाब से मौसम हो तब आवास सप्लीमेंट फीड दिया जाता है.

सप्लीमेंट दिया जाना चाहिए
एक्सपर्ट का कहना है कि लोकल लेवल पर उपलब्ध गैर-पारंपरिक खाद्य सामग्री का उपयोग करके तैयार किए गए कुक्कुट खाद्य की अनुपूरक खाद्य के रूप में सर्वदा सलाह दी जाती है. इसे टूटे हुए अनाज (ज्वार / बाजरा / रागी / कोरा, आदि), चावल की भूसी और मूंगफली केक को समान मात्रा में मिलाकर तैयार किया जा सकता है. यदि पक्षी अंडा देने की अवस्था में हैं, तो सप्लीमेंट फीड के रूप में कैल्शियम सोर्स जैसे शेल ग्रिट या संगमरमर की ग्रिट या चूना पत्थर की ग्रिट और टुकड़े की हुई हरी पत्तेदार सब्जी, रसोई अपशिष्ट देने की सिफारिश की जाती है.

वैक्सीनेश भी है बेहद जरूरी
स्थानीय ब्रूडिंग मुर्गी के तहत 10 से 12 अंडे स्थापित करके उपजाऊ अंडे प्राप्त किये जा सकते हैं. बेहतर हैचेबिलिटी के लिए केंद्रों से खरीदे जाने वाले अंडों को हैचिंग के लिए निर्धारित किए जाने तक, 18-20 डिग्री तक रखा जा सकता है. जब एक दिन की उम्र के चूजे खरीदे जाते हैं, तो उन्हें ब्रूडर हाउस में 8 सप्ताह तक पालना होता है. यदि बिजली से चलने वाले ब्रूडर उपलब्ध नहीं है, तो स्थानीय स्तर पर बने चारकोल ब्रूडर का इस्तेमाल किया जा सकता है. चूजों को सीमित क्षेत्र में पाला जाना चाहिए ताकि टीकाकरण जरूर करवाना चाहिए. मुर्गियों को परभक्षी पक्षियों तथा जानवरों से बचाना चाहिए और किसी भी कार्मिशयल लेयर पोल्ट्री फीड को खिलाकर एक समान विकास प्राप्त हो सकता है.

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