नई दिल्ली. भारत में महिलाएं फिशरीज सेक्टर (Fisheries Sector) में पुरुषों के कांधे से कांधा मिलाकर चल रही हैं. ग्लोबल स्टडी के मुताबिक देश के छोटे पैमानों की मछली पालन के काम में महिलाओं का लगभग आधा हिस्सा है. जो लाखों लोगों को भोजन प्रदान करती हैं और तटीय और आंतरिक समुदायों में आजीविका को बनाए रखने में मदद करती हैं. स्टडी के मुताबिक देश में कुल 40.8 लाख महिलाएं छोटे पैमानों की मछली पालन में शामिल हैं, जो इस सेक्टर में शामिल प्रत्येक 10 लोगों में से चार का हिस्सा रखती हैं. उनके योगदान हर काम में है. 27 फीसद महिलाएं पूर्व-उपज जैसे जाल बनाना और नाव चलाना, 18 फीसद कटाई में और बाकी 55 फीसद उत्पादन के बाद के संचालन, प्रोसेसिंग और व्यापार में हिस्सेदार हैं.
बता दें कि ये स्टडी संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के ग्लोबल इल्यूमिनेटिंग हिडन हार्वेस्ट्स (IHH) द्वारा की गई है. IHH स्थायी विकास के लिए छोटे पैमानों की मछली पालन (SSF) के योगदान देता है.
अर्थव्यवस्थाओं में है रोल
स्टडी में सामने आया है कि महिलाएं न केवल पोषण प्रदान करने में बल्कि परिवारों की आय और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को भी सपोर्ट कर रही हैं.
अध्ययन का अनुमान है कि भारत की छोटे पैमाने की मछली पकड़ने और बिक्री से साल में लगभग 230 करोड़ का कारोबार करने में महिलाएं मददगार हैं.
महिलाएं मछली को प्रोसेसिंग करने और बिक्री करने में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं, जो उपभोक्ताओं तक पहुंचती है. आजीविका से परे, महिलाओं की भागीदारी पोषण सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के लगभग 7 करोड़ 90 लाख के लिए छह प्रमुख पोषक तत्वों (जिसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन ए, लोहा, और जस्ता शामिल हैं) को मछली पूरा करती है.
बताते चलें कि इस बैठक का उद्देश्य छोटे पैमाने की मछली पकड़ने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (NPOA) तैयार करना था, जिसमें महिलाओं की दृश्यता और सशक्तिकरण को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया.
बैठक में भारत की देश रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए उप मत्स्य आयुक्त संजय पांडे ने कहा कि अंतर्देशीय मछली पकड़ने में बढ़ोतरी हो रही है जबकि देश का समुद्री मछली उत्पादन स्थिरता का सामना कर रहा है.