नई दिल्ली. मीठे पानी में मछली पालन के लिए तालाब एक बेहतरीन पानी का सोर्स है. कई योजनाओं से अपने खर्च पर मछली किसानों द्वारा नए तालाब का निर्माण कराया जा रहा है. नए तालाब के निर्माण के लिए किसानों को विभिन्न् पहलुओं पर जानकारी होना आवश्यक है. ताकि तालाब में अपेक्षित मात्रा में पानी का स्टोरेज किया जा सके. इसके अलावा साल भर मछली पालन के लिए पानी उपलब्ध हो सके. तालाब निर्माण से पानी संरक्षण के साथ-साथ भूगर्भ जल के श्रोत में भी वृद्धि की जा सकती है. इसके ये एक अलग तरह का फायदा है.
मत्स्य निदेशालय कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखण्ड सरकार Fishery Directorate, Department of Agriculture, Animal Husbandry and Cooperation, Government of Jharkhand के एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आप मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण करवाना चाहते हैं तो इसमें कुछ बातों का ध्यान दिया जाना चाहिए.
किन बातों का देना है ध्यान, जानें यहां
- तालाब के निर्माण के लिए ऐसी भूमि का चयन किया जाए जो प्राकृतिक रूप से गहरी हो ताकि आसपास के क्षेत्र के वर्षाजल के संग्रहण में सुगमता हो. यानी भूमि/तालाब का जलग्रहण क्षेत्र बड़ा हो.
- भूमि की मिट्टी चिकनी, दोमट या फिर लोम किस्म की हो.
- तालाब तक पहुंचने का रास्ता आसान हो.
- मिट्टी न ज्यादा अम्लीय हो न ज्यादा क्षारीय हो.
- तालाब समूह (Cluster) में बनाना अच्छा होता है.
तालाब के मिट्टी की पहचान
नए तालाब निर्माण के पहले मिट्टी को जांच बेहद ही जरूरी है. मिट्टी की जांच प्रयोगशाला में करायी जा सकती है. साथ ही साथ मछली किसान अपने स्तर से भी मिट्टी की जांच कर सकते हैं. जिसकी सरल विधि निम्नलिखित हैं.
- जहां तालाब बनाना है उस स्थान पर 3×3 फीट के क्षेत्र में तीन से पांच फीट का गड्डा बनाकर मिट्टी निकालें.
- उस मिट्टी को पानी में गीला कर 3 इंच व्यास का गोला बनाएं और 3-4 फीट तक हवा में उछालें यदि गोला टूट जाए तो मिट्टी तालाब बनाने के उपयुक्त नहीं है, यदि गोला नहीं टूटे तो वह स्थान तालाब निर्माण के लिए उपयुक्त है.
- मिट्टी का गोला (3 इंच व्यास) बनाकर उसे बेलनाकार घुमा- घुमा कर 5-6 इंच तक लंबा करें यदि नहीं टूटे तो यह स्थान तालाब के लिए उपयुक्त है.