Fish Farming: मछली पालन में इन तीन बातों का रखें ध्यान, मछलियों की होगी ग्रोथ, बढ़ जाएगा प्रोडक्शन

तालाब में खाद का अच्छे उपयोग के लिए लगभग एक सप्ताह के पहले 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर बिना बुझा चूना डालने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं.

तालाब में मछली निकालते मछली पालक

नई दिल्ली. फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि तालाब का पानी ही मछली पालन की नींव होता है. अगर यह बुनियाद कमजोर है तो आपका पूरा बिजनेस खराब हो सकता है. पानी को सही रखना, मछली पालन एक अहम काम ही नहीं, बल्कि ये किसी कला से कम नहीं है. इसे सीखना और समझना हर मछली पालक के लिए बेहद जरूरी है. अपने तालाब के पानी को समय-समय पर सुधार करते रहना चाहिए. तभी आपकी मछलियों की ग्रोथ अच्छी होगी और उत्पादन ज्यादा मिलेगा. इससे आपको फिश फार्मिंग में फायदा मिलेगा.

जब आपका पानी सही होगा, तभी आपकी मछलियां तेजी से ग्रोथ हासिल करेंगी. पानी के साथ-साथ तालाब की मिट्टी का भी ख्याल रखना पड़ता है. तालाब की मिट्टी सिर्फ उसका आधार नहीं है, यह मछलियों के लिए वह अहम चीज है, जिससे मछलियों को सही वातावरण मिलता है. अगर मिट्टी सही नहीं है तो मछली तनाव में आ जाती है. उनकी ग्रोथ रुक जाती है और बीमारी बढ़ जाती है. मिट्टी को उपजाऊ बनाना मछली पालन में सबसे अहम काम है.

नेचुरल फूड चेन होती है तैयार
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि उपजाऊ मिट्टी से तालाब में नेचुरल फूड चेन तैयार हो जाती है, जो मछलियों की ग्रोथ में बेहद ही मददगार होते है. क्योंकि की ऐसी कई मछलियां हैं जो सिर्फ नेचुरल फूड पर निर्भर करती हैं. यानी प्लैंक्टन पर. अगर उन्हें प्लैंक्टन न मिले तो उनकी ग्रोथ अच्छी नहीं होती है. इसलिए बेहद जरूरी है कि मिट्टी का ख्याल रखा जाए. वहीं दूसरी ओर अगर आपने मिट्टी की देखभाल नहीं की तो यह तालाब की सेहत को खराब कर सकता है. मिट्टी को सही रखना, हर मछली पालक के लिए बेहद जरूरी है.

बेहद जरूरी है चूना डालना
मिट्टी को सही रखने के लिए सबसे पहला कदम यह है कि चूने का इस्तेमाल करना आना चाहिए. तालाब के अंदर चूना डालने का सही समय और मात्रा डालने की जानकारी होनी ही चाहिए. क्योंकि चूना मिट्टी के पीएच को बैलेंस करता है और मिट्टी को उपजाऊ बनाने में मददगार साबित होता है. अगर आपने जरूरत से ज्यादा चूना डाल दिया तब मछलियों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. जबकि चूना मिट्टी को न सिर्फ उपजाऊ बनता है, बल्कि मछलियों के लिए एक बेहतरीन माहौल तैयार करता है. वहीं गोबर का सही इस्तेमाल करना भी आना चाहिए. तालाब की मिट्टी को उर्वरक बनाने के लिए गोबर बेहद फायदेमंद होता है लेकिन उसका सही इस्तेमाल करना चाहिए. अगर गोबर ज्यादा हो गया तब तालाब में अमोनिया ज्यादा हो जाएगी, जो मछलियों के लिए जहर है.

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