नई दिल्ली. केज कल्चर में मछली पालन करने से मछलियों को एक प्राकृतिक वातावरण मिलता है और इस तरीके से मछली पालन करने से मछलियों की ग्रोथ तेजी के साथ होती है. उत्तर प्रदेश मत्स्य पालन विभाग (Uttar Pradesh Fisheries Department) की मानें तो मछली पालन करने से सालाना 5 से 6 लाख रुपए कमाए जा सकते हैं. यदि मछली पालन केज कल्चर के तहत करें तो फायदा और बढ़ सकता है. क्योंकि इस तरह से मछली पालन करने पर लागत कम आती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है. इसलिए मछली पालकों को इस तरीके पर भी ध्यान देना चाहिए.
लाइव स्टक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) यहां आपको ये बताएगा कि केज में मछली पालन क्या है. इसके फायदे क्या हैं और केज कल्चर करने के लिए जगह का चुनाव कैसे करना चाहिए.
केज मत्स्य पालन क्या है ?
एक मछली पालन की विधि है, जिसमें मछलियों को प्राकृतिक जल निकायों (जैसे नदियाँ, झीलें या समुद्र) में स्थापित जाल या पिंजरों में पाला जाता है.
इस तरीके में मछलियां एक नियंत्रित, तैरते हुए वातावरण में रखी जाती हैं, जिससे भोजन, प्रजनन और कटाई को आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है.
केज मत्स्य पालन के लाभ
मछलियां एक सीमित क्षेत्र में रखी जाती हैं, जिससे भूमि का कम उपयोग होता है और स्थान की बचत होती है.
इस विधि में पानी की गुणवत्ता, आहार और मछलियों के स्वास्थ्य पर आसानी से निगरानी रखी जा सकती है.
पिंजरे में मछलियां घनी संख्या में रखी जा सकती हैं, जिससे उत्पादन अधिक हो सकता है.
केज के लिए स्थान का चुनाव
तैरते हुए केज को ऐसी जगह स्थापित करना चाहिए जहां पानी की गहराई कम से कम 6 मीटर या उससे ज्यादा है.
जहां पानी का बहाव धीमा हो और औद्योगिक प्रदूषण ना हो.
स्थान सुरक्षित और पहुंच के दायरे में हो.
जहां पानी में बड़े जलीय पौधे नहीं हों.
जहां पर जानवरों एवं स्थानीय लोगों का क्रियाकलाप नहीं हो.