नई दिल्ली. बिहार सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने का काम कर रही है. इसी क्रम में गया जिले के नक्सली पठारी क्षेत्रों में मछली पालन को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है. इसके लिए लाखों की खर्च से तालाब बनेंगे. कहा जा रहा है कि रोजगार के अवसर पैदा होंगे. अनुसुचित जाति व जनजाति के लोग महली पालन कर अपनी आर्थिक स्थिति संवारेगी. इसके लिए सूबे की सरकार की ओर से पठारी क्षेत्रों में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए तालाब बनाए जा रहे हैं. ताकि सभी को फायदा हो सके.
पठारी क्षेत्र तालाय निर्माण आधारित मास्य पालन को योजना (पैकेज योजना) से तालाच के साथ अन्य संसाधन मुहैया कराने की योजना है. चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में जिते के पठारी क्षेत्र में 10 तालाब निर्माण कराना है. पैकेज योजना सेपिङले साल पांच तालाब का निर्माण कर लोगों को मछली पालन के व्यवसाय से जोड़ा गया है. एक तालाब में मछली पालन कर साल भर तीन से चार लाख तक कमई की जा सकती है.
एक यूनिट पर 16 लाख 70 हजार रुपए होंगे खर्च
जिला मत्स्य अधिकारी पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि बिहार सरकार को पठारी क्षेत्र तालाब निर्माण आधारित मत्स्य पालन की योजना बेहद ही लाभकारी है. यह पैकेन योजना केवल एससी और एसटी के लिए है. गया जिले के चाराचट्टी, इमामंगन, बकियाजार और डुमरिया में तालाब निर्माण कराया जाएगा. इस योजना से एक एकड़ में तालाब का निर्माण होगा. तालाब के ट्यूबवेल पंप कोट, सोलर व शेड का निर्माण कराया जाएगा. एक एकड़ चाले एक यूनिट पर 16 लाख 70 हजार रुपए का खर्च आएगा. इस पर सरकार की ओर से 80 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी. इसी योजना से पिछले साल पठारी क्षेत्रों में पांच तालाब का निर्माण कराया जा चुका है. चालू वित्तीय वर्ष में भी 10 तालाब (0.5 एकड़) चनाने का लक्ष्य है.
योजना का लाभ लेने के को जरूरी कागजात के साथ करना होगा आवेदन
पठारी क्षेत्र तालाब निर्माण आधारित मत्स्य पालन की योजना के तहत तालाब निर्माण कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. आवेदक को मालगुजारी रसीद, दी फोटो, आधार कार्ड, बैंक पाल्लुक और प्रापय पर के साथ विभाग के वेवसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा. आवेदन के बाद उप मत्स्य निर्देशक की निगरानी में चयन कमेटी आवेदक का चुनाव करती है. जिला मलय पदाधिकारी पुरुषोतम कुमार ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं. बताया कि तालाब निर्माण के बाद मछली पालन के व्यवसाय से प्रत्यक्ष रूप से तीन और अप्रत्यक्ष रूप से दो लोग सीधा जुड जाएंगे. एक तालाब से साल भर में दो से दाई लाख की शुद्ध आमदनी होगी. बताया कि योजना का मुख्य उद्देश्य पठारी क्षेत्रों में तालाब निभांग व संबद्ध सहायक इकाइयों का निर्माण कर मछली पालन को बढ़ावा देना है. मछली का उत्पादन बढ़ने से इस काम से लोग जुड़ेंगे.