नई दिल्ली. नई दिल्ली. मछली पालन में भी मौसम का बेहद ही अहम रोल होता है. मछली पालन में किस मौसम में कैसे मछलियों को पाला जाए इसका ध्यान रखना पड़ता है. फिश एक्सपर्ट की मानें तो मछली पालन के लिए जून का महीना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान मछलियां प्रजननशील हो जाती हैं. उनका प्रजनन काल भी इसी महीने में शुरू होता है. इस महीने में तालाब और नदी में पानी का स्तर तापमान और ऑक्सीजन का स्तर मछली के विकास और प्रजनन के लिए बेहद ही उपयुक्त माना गया है. एक्सपर्ट इस दौरान मछलियों के बीच को तालाब आदि में डालने की सलाह देते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कई प्रकार की मछलियां जून में प्रजनन करती हैं. जैसे कि रोहू, कतला और मृगल, दरअसल जून में बारिश के कारण पानी का स्तर बढ़ जाता है जो मछलियों के प्रजनन और विकास के लिए एक बेहतरीन अवसर होता है. वहीं बारिश के बाद पानी में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ जाता है. इसलिए अगर आप तालाब में मछली पालन करते हैं तो एयरेटर चलाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है.
मछलियों को संतुलित आहर खिलाएं
बिहार सरकार के पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग की मानें तो जून के महीने में मछली पालकों को मछली के प्रजनन पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. ताकि मछलियां इस महीने में प्रजनन शुरू कर सकें. वहीं मछली प्रजनक की देखभाल और हैचरी होम्पा ब्रीडिंग का प्रबंध भी अहम माना जाता है. इसके अलावा तालाब में जालीय खरपतवारों को हटाना और पानी के कीटों को साफ करना भी इस महीने में बेहद ही जरूरी होता है. प्रजनक को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए उन्हें संतुलित आहार देना चाहिए. उनके आवास को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए. मछली बीज तालाब में डालने से पहले तालाब को अच्छी तरह से साफ करें और जालीय खरपतवारों को हटा दें.
हैचरी से स्पॉन लेकर नर्सरी तालाब में डालें
जून के महीने में मछली पालकों को हैचरियों से स्पॉन प्राप्त कर नर्सरी तालाबों में संचयन करना चाहिए. मछली प्रजनकों का उचित देखभाल करना चाहिए. ताकि उनकी सेहत अच्छी रहे और बाद में उनकी ग्रोथ अच्छी हो सके. भारतीय विदेशी कार्प मछलियों का प्रजनन इसी महीने में शुरू कर देना चाहिए. बताते चलें कि बिहार सरकार के पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से मत्स्य बीज उत्पादन में 5.69 यानि 6 गुना की अभिवृद्धि के साथ राज्य अपनी कुल आवश्यकता के 70 प्रतिशत भाग की पूर्ति कर रहा है. ग्रो आउट तालाब में इयरलिंग मत्स्य बीज संचयन (100 ग्राम का बीज) 2000/ एकड़ एवं (50 ग्राम का बीज) 4 हजार प्रति एकड़ की दर से तालाब तैयार कर डालें.