Fish Farming: तालाब में इन वजहों से ऑक्सीजन की हो जाती है कमी, मरने लगती हैं मछलियां

मछली में कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो पूरे मछली के बिजनेस को नुकसान पहुंचा सकती हैं.

तालाब में पाली गई मछली की तस्वीर.

नई दिल्ली. बरसात के मौसम में मछली पालन के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है. आसामन पर बादल लगने पर मछलियां मरने लगती हैं. इससे खूब नुकसान होता है. ऐसे में जब बरसात का मौसम आ जाए और आसमान में बादल हों तो बेहद ही जरूरी है मछलियों का ज्यादा ख्याल रखा जाए. दरअसल, बरसात में तालाब के अंदर कई वजह से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. इससे मछलियों में मृत्युदर दिखाई देती है. ऐसे में मछली पालकों के लिए ये बेहद ही जरूरी है कि ये वो जान लें कि तालाब में बरसात के दौरान किन वजहों से ऑक्सीजन कम हो जाती है.

बताते चलें कि ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से मछलियों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. फिर पानी की सतह पर मछलियां आकर सांस लेना शुरू कर देती हैं. इससे फिश फार्मिंग में बड़ा आर्थिक नुकसान होता है.

क्या-क्या दिक्कतें आती हैं और किसी वजह से
वहीं बरसात में तालाब में अमोनिया बनने लगती है. जब तालाब की तली गंदी हो जाती है तो सड़ी—गली चीजें अमोनिया छोड़ती हैं. या अमोनिया पानी में फैल कर मछलियों को लिए जहर का काम करती है.

बादल वाले मौसम में ये और ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए तली की सफाई और प्रबंधन भी बेहद जरूरी है.

कई बार ज्यादा डेंसिटी है यानी ज्यादा मछलियों का पालन भी नुकसानदेह होता है. जब तालाब में जरूर से ज्यादा मछलियां होती हैं तो ऑक्सीजन की मांग बढ़ जाती है.

बादल लगने पर इतनी ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पाती है. जबकि मछलियों को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है.

नतीजे में सभी मछलियां ऊपर आ जाती हैं और इससे मछलियों की मौत होने लग जाती है. जिससे नुकसान होता है.

यदि मछली पालक तालाब में बहुत ज्यादा चारा डालने लगते हैं तो बचा हुआ चारा तालाब में सड़ने लग जाता है.

वहीं चारा खाकर मछलियां वेस्ट निकलाती हैं और वह वेस्ट सही से डीकंपोज नहीं हो पता है. क्योंकि तालाब के ताली में अच्छे से धूप नहीं पहुंच पाती है.

इससे जहरीली गैस बनती है यही गैस मछलियों के लिए जहर बन जाती है और उनकी जान ले लेती है.

वहीं बरसात में गोबर वाला चारा भी डालना खतरनाक होता है. क्योंकि गोबर के सड़ने पर गैस और अमोनिया जल्दी बनती है.

वहीं इससे तालाब का संतुलन बिगड़ जाता है. पानी खराब होता है और मछलियों की मौत होने लगती है. इसलिए गोबर वाले चारे को डालने से बचना चाहिए.

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