नई दिल्ली. मत्स्य पालन विभाग भारत सरकार के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने पिछले दिनों फॉर्च्यून बीच रिसॉर्ट, चेन्नई में भारत की राष्ट्रीय योजना का मसौदा तैयार करने के लिए FAO–BOBP-IGO क्षेत्रीय क्षमता विकास कार्यशाला में कई अहम बातें कहीं. इस वर्कशॉप के उद्घाटन के मौके पर अभिलक्ष लिखी ने कहा कि छोटे पैमाने के मछुआरों को सशक्त बनाना बेहद ही जरूरी है. इससे उनकी इनकम बढ़ेगी और वो मजबूत होंगे. ऐसा करने के लिए खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन और लगातार जीवनयापन सुनिश्चित करने के लिए एक लिंग-अंतर्जात और हितधारक-प्रेरित दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया.
उन्होंने FAO के तकनीकी समर्थन और BOBLME ढांचे के साथ, कार्यशाला ने राष्ट्रीय रोडमैप बनाने, कार्य बल की क्षमताओं को मजबूत करने और नीति को जमीनी हकीकतों के साथ संरेखित करने पर केंद्रित किया.
किन मुद्दों पर हुई चर्चा
वहीं एक दिन पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छत्तीसगढ़ के मछुआरों, मत्स्य सहकारी समितियों और संघों के साथ एक फीडबैक में वो शामिल हुए.
इस सत्र में 200 से अधिक मछुआरों की सक्रिय भागीदारी देखी गई. सत्र के दौरान, मछली किसानों और मत्स्य सहकारी समितियों ने कई मुद्दे उठाए गए.
जिनमें फीड की लागत को कम करने की आवश्यकता, तालाबों के रखरखाव के लिए फंड का आवंटन, सजावटी मत्स्य में लगे स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और मछली उत्पादक संगठनों (FPOs) के लिए सब्सिडी बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया.
साथ ही नियमित प्रशिक्षण सत्रों की आवश्यकता की जरूरत बताई गई. बाजार मूल्य की जानकारी तक पहुंच की आवश्यकता, छोटे पैमाने के मछुआरों के लिए सब्सिडी की आवश्यकता के बारे मछुआरों ने कहा.
साथ ही घटकों की दर बढ़ाने की आवश्यकता और मार्केट एक्सेस को सुधारने के लिए अधिक विक्रय केंद्रों और खुदरा आउटलेट्स की आवश्यकता पर जोर दिया गया.
सत्र में भारत सरकार के DoF के संयुक्त सचिव (IF), आर्थिक सलाहकार, DoF, NFDB के CE; और DoF, भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.
सचिव ने कहहा कि वहीं मछुआरे विरासत और नवाचार को मिलाकर मछली पालन और एक्वाकल्चर क्षेत्र को बदल रहे हैं.
KCC द्वारा ब्याज सब्सिडी और मत्स्य सेतु और नाभामित्र जैसे ऐप्स के साथ, वे पीएमएमएसवाई, पीएमएमकेएसवाई, एफआईडीएफ आदि जैसे योजनाओं द्वारा सशक्त होकर अवसरों के जल में नेविगेट कर रहे हैं.