Fish Farming: इस तरह करें मछली पालन तो ज्यादा मिलेगा मुनाफा

Under PMMSY, the activities such as sea ranching and installation of artificial reefs are supported for the first time by the Government across entire coastline of India for enhancing the fish stocks and supporting livelihood of fishers.

प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. मछली पालन करने वाले किसान भाई तालाब में रोहू, कतला, मृगल, ग्रास कार्प जैसी मछलियों को पालते हैं लेकिन ज्यादातर किसानों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि एक तालाब से कितना प्रोडक्शन निकाला जा सकता है. ये जानकारी और इस तरह की कई अन्य जानकारी की कमी की वजह से कई बार सही योजना नहीं बना पाते हैं और इससे उन्हें फिश फार्मिंग के काम में अच्छा मुनाफा नहीं मिलता है. यदि आप भी जानना चाहते हैं कि ज्यादा मुनाफा किस तरह से कमाया जा सकता है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें.

उत्तर प्रदेश मछली पालन विभाग (Uttar Pradesh Fisheries Department) के एक्सपर्ट ने लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को बताया कि अगर हम एक एकड़ में मछली पालन कर रहे हैं तो साल भर में कम से कम 80 से 90 क्विंटल तक का मछली उत्पादन होना चाहिए. एक्सपर्ट के मुताबिक यदि सही तरह से मछली पालन किया जाए तो यही उत्पादन 100 क्विंटल तक भी पहुंच सकता है

अच्छे उत्पादन के लिए क्या करें
बता दें कि मछली पालन में अच्छी कमाई और अच्छे उत्पादन के लिए जरूरी है कि साल में दो बार कल्चर किया जाए.

यदि आप 5 से 6 महीने का कल्चर रखते हैं और मछली निकालने के बाद दोबारा नया बीज डालते हैं तो मछलियों की ग्रोथ तेज होती है और तालाब की क्वालिटी भी खराब नहीं होती है.

इस तरीके से साल में आपको दो बार प्रॉफिट होगा. जबकि 12 महीने में एक तालाब में मछली रखने से उनका वजन धीरे-धीरेरुकने लगता है और तालाब में गंदगी भी बढ़ जाती है.

इसलिए समझदारी इसी में है कि छोटे-छोटे कल्चर करके साल में दो बार फसल निकली जाए और लगातार बढ़िया आमदनी कमाई जाए.

अगर किसान भाई एक कल्चर में औसतन 40 क्विंटल मछली निकाल लेते हैं तो साल में दो बार कल्चर करने से आसानी से 80 से क्विंटल मछली का उत्पादन लिया जा सकता है.

यदि इतना उत्पादन कर लिया जाए तो लाखों रुपए का मुनाफा मिल जाएगा. क्योंकि मार्केट में मछलियों की मांग हमेशा बनी रहती है.

निष्कर्ष
हालांकि यह तभी संभव जब हर बार तालाब की अच्छी तरह से तैयारी करें. पानी की क्वालिटी का ध्यान रखें. सही समय पर संतुलित मात्रा में दाना डालें और मैनेजमेंट में किस तरह की लापरवाही न बरतें.

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