Fisheries: मछली पालन के लिए पानी में होनी चाहिए ये पांच क्वालिटी, उत्पादन पर पड़ता है सीधा असर

fish farming

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. देश में तेजी के साथ जनसंख्या बढ़ रही है. खाने वाले सामानों के उत्पादन और जनसंख्या वृद्धि के दर में बहुत फर्क हो रहा है. वहीं कृषि के लिए जमीन भी कम पड़ रही है. ऐसे में उत्पादन से ज्यादा उत्पादकता महत्वपूर्ण हो गयी है. जिसको देखते हुए मछली जैसा फूड लोगों के लिए बेहतर विकल्प बन रहा है. मछली प्रोटीन के सस्ते सोर्स में से एक है. ऐसे में सरकार भी मछली पालन को बढ़ावा देने का काम कर रही है ताकि आने वाले वक्त में फूड की कमी न हो और लोगों को आजीविका कमाने का एक और जरिया मिल जाए.

जबकि मछली पालन बेहद ही मुनाफे का सौदा है. मछली पालन करके अच्छी कमाई की जा सकती है. तालाब में मछली पालकर लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं. हालांकि इसके लिए कई चीजों का ध्यान देना जरूरी होता है. मसलन, मछली पालन से पहले तालाब बनाना होता है. इसको बनाने के लिए जरूरी ये है कि मिट्टी की जांच कर ली जाए. फिर नंबर आता है पानी का. अगर मछली के लिए तालाब का पानी उपयुक्त नहीं होगा तो उसमें मछली पालन नहीं किया जा सकता है.

रासायनिक गुण
पानी का पीएच गुणवत्ता को बताता है. मछली पालन के लिए पीएच 7.9 के बीच होना चाहिए. पानी के पीएच 4 से कम या 11 से अधिक है तो यह मछली के लिए नुकसानदायक है. मछली पालन के लिए पानी की हार्डनेस 50 से 180 पीपीएम होनी चाहिए. यदि तालाब के पानी की हार्डनेस 50 पीपीएम से कम है तो पानी में प्लैकटन का प्रोडक्शन जरूरत से कम होगा.

घुलने वाली ऑक्सीजन- मछलियां पानी में घुलित ऑक्सीजन से सांस लेती हैं. तालाब में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा 5-10 पीपीएम के बीच होनी चाहिए. 3 पीपीएम से कम ऑक्सीजन मछली के लिए नुकसानदायक है. वहीं 10 पीपीएम से ज्यादा ऑक्सीजन मछली के गलफड़े को बंद कर देती है. जबकि क्षारीयता तालाब के पानी की उत्पादकता गुण को बताती है. अच्छी उत्पादकता के लिए तालाब के पानी की कुल क्षारीयता 100 पीपीएम. से अधिक होनी चाहिए.

घुलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड- तालाब के पानी में घुलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 5 पीपीएम होनी चाहिए.

नाइट्रेट- माइक्रोब्स यानि सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा जब तालाब के निचले सतह पर बायोटिक पदार्थ जब टूट जाते हैं तो इससे कार्बन डाईऑक्साइड और अमोनिया बनता है. फिर बैक्टीरिया के द्वारा ये अमोनिया नाइट्रेट में बदल जाता है. तालाब में जलीय जीव की अच्छी उपज के लिए एक नाइट्रेट की मात्रा एक पीपीएम होनी चाहिए.

फास्फेट- तालाब के जल में फास्फेट की मात्रा 0.3 से 0.5 पीपीएम तक होनी चाहिए. पानी में फास्फेट की उपलब्धता से जलीय जीवों में प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होती है.

Exit mobile version