नई दिल्ली. कोई भी नया फार्मर अगर मछली पालन का काम शुरू करता है तो उसे एक बीघे में आसानी के साथ ढाई से तीन लाख रुपए की इनकम हो जाएगी. इसके लिए बस थोड़ी सी जानकारी होना जरूरी है. अगर आप मछली पालन का काम शुरू करते हैं तो जल्दी ही अपना एक अच्छा बिजनेस खड़ा कर लेंगे. वहीं साल में अगर दो बार मछली की फसल ली जाती है तब ये कमाई दोगुनी हो जाती है. बहुत से अनुभवी मछली पालक साल में दो बार मछली की फसल तैयार करते हैं, इससे उन्हें अच्छी खासी कमाई होती है.
कई अनुभवी मछली पालक बताते हैं कि अगर कोई मछली पाालक नया है तो उसे पंगेसियस मछली के साथ फिश फार्मिंग का काम शुरू करना चाहिए. क्योंकि पंगेसियस एक ऐसी मछली है जो कम लागत में भी अच्छे से पल जाती है और अच्छा मुनाफा देकर जाती है. जबकि इंडियन कार्प मछलियां, जैसे रोहू कतला, भाकुर वगैरह को अगर पालते तो ज्यादा देखरेख की जरूरत पड़ती है. अगर तालाब में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तो इन मछलियों से परेशानी हो सकती है. हो सकता है कि उनमें मृत्यु दर भी दिखाई दे.
ब्रांडेड फीड खरीदकर ही खिलाएं
वहीं पंगेसियस मछली एक एसी मछली है जो कम ऑक्सीजन में भी आसानी के साथ पल जाती है और उसकी कम देखरेख करना पड़ता है. फिश एक्सपर्ट का कहना है कि शुरुआत में काम करने वाले मछली पालकों को खुद से मछलियों को फीड बनाकर नहीं खिलाना चाहिए. शुरुआत में वह कंपनी से बना हुआ फीड मछलियों को डालें. क्योंकि उसमें तमाम जरूरी पोषक तत्व और वो चीज होती है, जिससे मछलियों की ग्रोथ करती हैं. जबकि खुद से बनाने में कमी रह सकती है. मछली तब भी पल जाएंगी लेकिन हो सकता है कि उनके ग्रोथ इतनी ज्यादा न हो. इसलिए शुरुआत करने के बाद कंपनी से फीड लेकर ही मछलियों को खिलाना चाहिए.
कब करना चाहिए बायोफ्लोक तकनीक से मछली पालन
अगर आप मछली पालन में नए हैं तो हमेशा ही इस बात का ध्यान रखें कि शुरू में कम मछलियों से आप मछली पालन का काम शुरू करें. एक बार जब आपको अनुभव हो जाए तो इसे आगे बढ़ा लें. तालाब का निर्माण जेसीबी और ट्रैक्टर से करवा सकते हैं. कम से कम 5 से 6 फीट गहरा रखना चाहिए. मछली पालक चाहें तो बायोफ्लोक तकनीक से भी मछली पालन कर सकते हैं लेकिन ये काम वहीं करना चाहिए जहां पर छोटी मछलियों की डिमांड ज्यादा हो. जहां पर एक से सवा किलो तक की मछलियों की डिमांड है तो वहां पर तालाब में ही मछली पालन करना चाहिए.












