Gadvasu: अगर पशु को हो गया खुरपका-मुंहपका तो कब तक लगवाएं टीके, जानिए इस खबर में

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. पंजाब के लुधियाना स्थित गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी की ओर से राज्य में मवेशियों में खुरपका-मुंहपका रोग के नियंत्रण से संबंधित नीतियों पर एक चर्चा का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी के समन्वयन से किया गया.

बीमारी शुरू होते ही काबू पाने की कोशिशें हो गईं थीं
कार्यक्रम में वाइस चांसलर डॉक्टर इंद्रजीत सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि यह एक वायरल बीमारी है, जो सीमाओं को पार कर जाती है. जब से इस बीमारी ने पंजाब में दस्तक दी है, तभी से इस पर काबू पाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं और विशेषज्ञों के साथ यह राष्ट्रीय स्तर की चर्चा भी इसी मकसद से की गई है.

टीकाकरण की कोल्ड चेन कायम रखी जाए
चर्चा में डॉ. राबिन्द्र प्रसाद सिंह, निदेशक, राष्ट्रीय खुरपका एवं मुंहपका रोग संस्थान, भुवनेश्वर और डॉ. जेके मोहापात्रा विशेषज्ञ के रूप में  जुड़े. उन्होंने कहा कि टीकाकरण की कोल्ड चेन कायम रखी जाए. पूर्ण सुरक्षा प्राप्त होने तक टीकाकरण जारी रखा जाना चाहिए. जैविक सुरक्षा का ध्यान रखा जाए.

तीन महीने बाद जानवरों की जांच होना जरूरी
डॉ. मोहापात्र ने कहा कि टीकाकरण के बाद भी पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता की जांच करना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि
जानवरों में वायरस का आखिरी मामला आने के तीन महीने बाद जानवरों की जांच बहुत महत्वपूर्ण है. डॉ. गुरशरणजीत सिंह बेदी पंजाब के पशुपालन विभाग के निदेशक ने पंजाब में इस बीमारी की स्थितिपर प्रकाश डाला और प्रभावी कदमों का उल्लेख किया. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने चर्चा में प्रमुख योगदान दिया.

डॉ यशपाल सिंह मलिक, डीन, कॉलेज ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी ने अपने समापन भाषण में कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम परिधि विधि से टीकाकरण करें ताकि रोग के केंद्र के आसपास के क्षेत्र को सुरक्षित किया जा सके. उन्होंने इस चर्चा में भाग लेने के लिए डॉ. इंद्रजीत सिंह, विभिन्न विशेषज्ञों और किसानों को धन्यवाद दिया.

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