Dairy Farming: अब झट से जमेगा दही, फट से पीजिए लस्सी, बेहद कारगर है गडवासू के साइंटिस्ट की ये ट्रिक

हरित प्रदेश मिल्क प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन सदस्यों को बोनस का तोहफा दिया जा रहा है.

प्रतीकात्मक फोटो. livestock animal news

नई दिल्ली. एक दौर था जब बाजार में सिर्फ दूध की ही डिमांड रहती और दही की मांग बहुत कम, लेकिन अब ऐसा नहीं है। दही खाने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. ऐसे में बाजार में भी इसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है. यही वजह है कि डेयरी कंपनियों पर दही की सप्लाई करने के लिए दबाव बढ़ रहा है. दही को लेकर इस क्षेत्र की कंपनियां परेशान हैं. कंपनियों भी इस परेशानी का हल खोजने के लिए लगातार प्रयास करने में जुटी हैं लेकिन ठीक से समाधान नहीं कर पा रहीं. ऐसे में इस समस्या का समाधान करने के लिए गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी यानी (गडवासू) के डेयरी वैज्ञानिकों ने इस समस्या का समधान खोज निकाला है. बता दें कि भारत दूध उत्पादन में विश्व में नंबर वन पोजिशन रखता है लेकिन दही की डिमांड पूरा करने में उसे खासी दिक्कत आती है, जिसे लेकर लगातार मंथन भी चलता रहा है.

आंकड़ों पर ठीक से नजर डालें तो हिंदुस्तान दुनिया में कुल दूध उत्पादन में पहला स्थान रखता है. 2022-23 की बात करें तो 3.83 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ 230.58 मिलियन टन दूध का उत्पादन कर देश ने दुनिया में अपने नाम का डंका बजवाया. मगर, दही को लेकर इस क्षेत्र की कंपनियां परेशान हैं. कंपनियों भी इस परेशानी का हल खोजने के लिए लगातार प्रयास करने में जुटी हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वक्त पर बाजार में दही की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति कैसे करें.

दही बनने में कितना वक्त लगेगा, खुद ही तय कर सकेंगे
दूध से दही जमाने में करीब 5-8 घंटे लगते हैं. ऐसे में बाजार में मांग के अनुरूप दही नहीं पहुंच पाता. इसके पीछे का एक कारण इसके जमने में लगने वाले टाइम को भी कहा जा सकता है. मगर, अब अब दूध से दही बनाने में कितना वक्त लगेगा ये सब पहले से तय रहेगा. गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी यानी (गडवासू) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रणव कुमार सिंह की बातों पर ध्यान दें तो वे कहते हैं कि नई रिसर्च के बाद तो दही जमाने में वक्त भी नहीं लगेगा और जल्द खराब भी नहीं होगा, जिससे लोगों तक टाइम तक पहुंच भी जाएगा. उन्होंने बताया कि एक खास किस्म की मशीन से दही जमाने का प्रयोग किया , जो पूरी तरह से कामयाब रहा. इसी तरह से हम कुछ और खाने की चीजों पर इस प्रयोग को कर सकते हैं. मशीन आईआईटी, रोपड़ ने बनाई है. इस रिसर्च का नाम ‘Nanobubbles – A Promising Technology for their Application in Fermented Dairy Foods’ है.

इस मशीन से मिलेगी डेयरी सेक्टर को ताकत
इस बारे में डॉ. प्रणव ने बताया कि दही-लस्सी की डिमांड को देखते हुए और वक्त से ग्राहक की डिमांड को पूरा करना भी कारोबार के लिहाज से जरूरी है. लेकिन दूध से दही बनने में लगने वाला वक्त हमारी इस रिसर्च के बाद से कम हो जाएगा. इतना ही नहीं, अभी तक होता ये है कि दही के खराब होने की मियाद बहुत ही कम होती है. छह से सात दिन में पैक्ड दही खराब हो जाता है. लेकिन आईआईटी, रोपड़ द्वारा बनाई गई मशीन से की गई खोज के बाद दही की मियाद भी बढ़ जाएगी. अभी हम दावा कर सकते हैं कि कम से कम 14 से 15 दिन तक दही अच्छा बना रहेगा.

नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी ने डॉ. प्रणव को किया सम्मामनित

डॉ. प्रणव ने किसान तक को बताया कि हाल ही में फरमेंटेड फूड प्रोडक्ट, हेल्थ स्टेटस और सोशल वेलफेयर पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया था. सम्मेलन का आयोजन नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग में किया गया था. इस सम्मेलन के आयोजन में स्वीडिश दक्षिण एशियाई नेटवर्क का सहयोग भी रहा है. अच्छी बात ये है कि इसी सम्मेलन में डॉ. प्रणव को उनकी रिसर्च से संबंधित बेस्टी पेपर प्रेजेंटेशन के लिए सम्मानित भी किया गया था.

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