Goat: बकरी के नवजात बच्चों की देखभाल में इन बातों का जरूर रखें ध्यान

अत्यधिक कमजोर बच्चों के मामले में उन्हें ट्यूब-फीड दिया जाना चाहिए.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. बकरी पालन में बकरी के बच्चों से फायदा दोगुना हो जाता है. क्योंकि इससे बाड़े में जानवरों की संख्या बढ़ जाती है. बच्चा नर है तो बेचकर कमाई कर सकते हैं. वहीं मादा मिलने पर आगे चलकर यही बच्चा बकरी बनेगी और फिर बच्चों को जन्म देकर बकरी पालकों का फायदा कराता है, लेकिन भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट के मुताबिक बकरी के बच्चों की सही से देखभाल बेहद ही जरूरी है, तभी फायदा होगा. नहीं तो बकरी के बच्चों में मृत्युदर बहुत ज्यादा होती है. जिससे नुकसान होता है.

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट ने लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को बताया कि बकरी के बच्चे बहुत जल्दी संक्रामक रोगों के शिकार हो जाते हैं.

क्या करना चा​हिए
इसलिए उनके बाड़ों की नियमित सफाई किसी कीटाणुनाशक जैसे 10 प्रतिशत फिनाईल से करना आवश्यक है. साथ ही संक्रामक रोगों के बचाने के लिए टीके 3 माह की उम्र पर लगवा देना भी जरूरी है.

बच्चों को काक्सीडियोसिस से बचाने के लिऐ एम्प्रीसोल 5-6 दिन तक देना चाहिए. ई-कोलाई के संक्रमण द्वारा बच्चों को बहुधा दस्त होते हैं तथा उनकी मृत्यु हो जाती है.

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट का कहना हे कि इस रोग के नियंत्रण बाड़ों में सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिये.

बाहरी परजीवियों से बच्चों की रक्षा करने के लिए उन्हें बाहरी परजीवी नाशक घोल में इस प्रकार नहलाना चाहिए कि घोल उनकी नाक, आंख, कान या मुँह के अन्दर ना जाये.

रोगों से बचाव के लिये बच्चों के बाड़े मिट्टी तथा बिछावन नियमित बदलना आवश्यक है. फर्श पर चूना छिड़कने से रोगों का संक्रमण कम हो जाता है.

मेंमनों में ई. कोलाई जनित दस्त शुरूआत में होने की सम्भावना ज्यादा रहती है। अतः इस काल में बाड़ों की सफाई पर ज्यादा ध्यान देना चाहिये.

नवजातों को 0.1 प्रतिशत पोटेशियम परमेगनेट के घोल से बकरी के थनों को साफ करने के बाद दूध पिलाना चाहिये.

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