Goat Farming: बकरी के नवजात बच्चों की देखभाल का क्या सही तरीका, पोषण पर इस तरह दें ध्यान

goat baby

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. बकरी पालन में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए बकरी के नवजात बच्चों देखभाल करना जरूरी है. जब बकरी बच्चे को जन्म दे तो के तुरंत बाद बच्चों के मुंह तथा नाक के अन्दर-बाहर लगी म्यूकस की झिल्ली को हटाकर उन्हें सूखे, मुलायम कपड़े से पोंछ देना चाहिए. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), इज्जतनगर के एक्सपर्ट के मुताबिक​ बच्चे को सूखी घास या जूट के बोरे पर रखकर बकरी को अपने बच्चे को चाटने देना चाहिए.

शुरुआती तीन महीने तक क्या करें
बच्चे की नाभि को साफ धारदार चाकू या ब्लेड से (टिंचर आयोडीन के घोल में डालकर) उसके आधार से 3-4 से.मी. ऊपर से काटकर धागे से बांध दें

जख्म को रोजाना 3-4 दिन तक इसी घोल से साफ करते रहें. नवजात बच्चों को अपनी माँ का शुरू का दूध (खीस) जन्म के आधा से एक घंटा के अन्दर जरूर पिलाएं.

यह उनमें रोग से बचाव के लिये प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करता है. जन्म के बाद बच्चों को एक सप्ताह तक अपनी मां के साथ लकड़ी के केज में रखना चाहिए.

बकरी तथा बच्चे आपस में एक-दूसरे की पहचान कर लेते हैं. इस अवधि में उन्हें 24 घण्टे में तीन बार मां का दूध पिलायें.

3 माह की उम्र तक उन्हें सुबह-शाम दूध पिलाना जरूरी होता है. तीसरे माह के अन्त में जब बच्चे दाना, हरा चारा एवं मुलायम पत्तियां खाने लगें तो धीरे-धीरे दूध पिलाना बन्द कर देना चाहिए.

बकरी के बच्चों का पोषण कैसे रखें ख्याल
बकरी के बच्चों की वृद्धि विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है. इसमें से एक प्रमुख कारक पोषण प्रबन्ध है.

बच्चों को यदि वृद्धि के समय उचित पोषण दिया जाये तो उसका परिणाम आगे उनके वयस्क होने पर नर में प्रजनन के लिए तथा मादा में दूध, मांस इत्यादि के लिए उत्तम होता है.

आमतौर सभी विटामिन्स विभिन्न हरे चारों में पाये जाते हैं. खनिज लवण भी आहार और चारे में पाये जाते हैं. इन्हें दानें के मिश्रण में भी मिलाया जाता है.

बच्चों के लिए मां का दूध जन्म से लेकर 3 महीने की आयु तक अति आवश्यक है. बच्चों को क्रीप आहार रसीले हरे चारे के साथ इच्छानुसार दिया जाता है.

इस आयु पर बच्चे घास और चारे को खाना शुरू कर देते हैं. बच्चों का क्रीप आहार ऊर्जा और प्रोटीन से परिपूर्ण होना चाहिए.

रेशा बहुत कम मात्रा में होना चाहिए. क्योंकि इस आयु (0-3 माह) में बच्चों का रूमन रेशा के पाचन के लिए विकसित नहीं होता है.

Exit mobile version