नई दिल्ली. बकरियों को दाना मिश्रण देने का भी तरीका है. जैसे गर्भित बकरियों को ब्याने से लगभग 45 दिन शेष रहने के समय से प्रतिदिन 300-400 ग्राम अतिरिक्त दाने की आवश्यकता होती है. इससे बकरी से पैदा होने वाले बच्चे का जन्म के समय सामान्य वजन का होता है. वहीं बकरी से दूध उत्पादन उपयुक्त मात्रा में होगा तथा दूध देते समय बकरी का स्वास्थ्य एवं वजन ठीक रहेगा. गर्भित बकरियों के पोषण के बारे में एक महत्वपूर्ण बात और ध्यान में रखनी चाहिए कि बकरी के ब्याने के 40-45 दिन पूर्व से गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण रूमन पर दबाव पड़ता है जिससे बकरी के आहार ग्रहण करने की क्षमता सामान्य से कम हो जाती है.
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की मानें तो इस समय दिये जाने वाले चारे एवं दाने की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए. जिससे कि सामान्य से कम आहार ग्रहण करने के बावजूद भी बकरी की पोषण आवश्यकतायें पूरी हो सके.
प्रजनक बकरों का पोषण ऐसे करें
प्रजनन के लिये प्रयोग में लाये जाने की स्थिति में सामान्य पोषण (हरा चारा, दलहनी भूसा एवं 200-250 ग्राम दाना मिश्रण) के अतिरिक्त 400-500 ग्राम दाना मिश्रण प्रति बकरा प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाना चाहिए. साल के आखिरी समय सामान्य पोषण ही काफी होता है.
बकरियों के लिये दाना मिश्रण बकरियों के लिये न केवल दाने की मात्रा बल्कि इसकी गुणवत्ता इनके उत्पादन को प्रभावित करती हैं.
यदि बकरियों को अच्छी गुणवत्ता वाला दहलनी हरा चारा या दलहनी चारे से बनी ‘हे’ उचित मात्रा में उपलब्ध है तो उस दशा में दाने के मिश्रण में केवल अनाज जैसे जौ, बाजरा, मक्का, ज्वार, गेहूँ, जई आदि ही काफी है.
हालांकि उस समय जब अच्छी गुणवत्ता वाला दलहनी हरा चारा या इससे बनी हुई ‘हे’ उपलब्ध नहीं है तब बकरी के दाने के मिश्रण में उचित मात्रा में खल का मिलाना आवश्यक है.
जिससे कि पोषण में प्रोटीन एवं ऊर्जा का उचित सन्तुलन रहे। इसके अतिरिक्त दाने के मिश्रण में 1.5 प्रतिशत नमक एवं 1.5 प्रतिशत खनिज लवण मिलाना आवश्यक है.