Goat Farming: जानें बकरियों को बीमारियों से बचाने के लिए कब लगवाना चाहिए वैक्सीन, ये काम भी जरूर करें

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. बकरियों को बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि समय-समय पर वैक्सीनेशन किया जाए और कृमिनाशक कार्यक्रम चलाया जाए. यानी उन्हें ऐसी दवाई पिलाई जाए जिससे पेट के अंदर परेशान न करें. बाहरी कीड़ों के लिए उन्हें दवा दें या फिर संक्रमण बढ़ने पर नहलाया जाता है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की मानें तो पशुओं को वैक्सीनेशन करने और कृमि नाशक की दवा पिलाने के लिए जरूरी है किसकी मुकम्मल जानकारी हो. क्योंकि इसका सीधा रिश्ता पशुओं के स्वास्थ्य से होता है. हैल्थ को सही रखने के लिए ये बेहद जरूरी है.

आईवीआरआई की ओर से लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को इस संबंध में जानकारी दी गई है कि बकरियों को लगने वाले पांच टीके कब लगाए जाने चाहिए.

वैक्सीनेशन कैलेंडर के बारे में पढ़ें
खुर पका व मुंह पका बीमारी के लिए दो से तीन महीने की उम्र में पहला और 2 से 4 महीने के बाद फिर बूस्टर टीका और हर 6 महीने पर फिर से वैक्सीन लगाना चाहिए.

बकरी प्लेग यानी पीपीआर के लिए 4 महीने की उम्र पर पहला, बूस्टर लगाने की जरूरत नहीं है. फिर 4 वर्ष पर टीका लगाया जाता है.

बकरी चेचक के लिए 3 से 5 महीने की उम्र पर और इसके तीन हफ्ते के बाद फिर से टीका और फिर 12 महीने पर वैक्सीन लगवाना चाहिए.

आंत्र विषाक्ता एंटरोटॉक्सिमिया के लिए 3 महीने की उम्र पर पहला टीका और इसके तीन सप्ताह के बाद दूसरा, हर साल दो से 3 हफ्ते के गैप पर लगाना चाहिए.

गलाघोंटू के लिए 3 से 6 महीने की उम्र पर पहला और 6 महीने के बाद दूसरा और हर साल एक वैक्सीन लगवाना चाहिए.

कृमिनाशक कार्यक्रम क्या है
काक्सीडियोसिस के लिए 2 से 3 महीने और 3 से 5 दिन तक काक्सीसीमारक दवा देना चाहिए. 6 माह की उम्र पर इसे रिपीट करें. दवा को 5 दिन तक लगातार देना चाहिए.

पेट के अंदर के कीड़ों के लिए तीन माह की उम्र पर दवा दें. बरसात के शुरू में और आखिरी में सभी पशुओं को एक साथ दवा दें.

बाहरी परजीवी के लिए सभी उम्र में दे सकते हैं. साल में काम से कम तीन बार या संक्रमण बढ़ने पर सभी पशुओं को एक साथ नहलाना चाहिए.

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